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ई – गवर्नेस E-GOVERNANCE ?

ई – गवर्नेस E-GOVERNANCE ?

ई- गवर्नेस का अर्थ – Meaning of e-governance

ई – गवर्नेस दो शब्द ‘ई’ तथा ‘गवर्नेस’ से मिलकर बना है जिससे प्रथम शब्द ‘ई’ इलेक्ट्रॉनिक सूचना एवं संचार प्रोद्योगिक की ओर इंगित करता है, वही दूसरा शब्द गवर्नेस का ‘मूल लक्ष्य लोगो का कल्याण करना प्रदर्शित करता है ।

  • वर्तमान वैश्वीकरण के युग में सुशासन की प्राप्ति का मुख्य उपकरण ई- गवर्नेस बन चूका है ।

ई-गवर्नेंस (E-Governance) का अर्थ है सूचना और संचार तकनीकों (ICT) का उपयोग करके सरकारी सेवाओं, सूचना और प्रक्रियाओं को डिजिटल रूप में उपलब्ध कराना और उन्हें नागरिकों, व्यवसायों और अन्य सरकारी एजेंसियों तक पहुँचाना। इसका उद्देश्य सरकारी कार्यों को अधिक कुशल, पारदर्शी, और जवाबदेह बनाना है। ई-गवर्नेंस के तहत विभिन्न सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन प्रदान किया जाता है जिससे नागरिकों को इन सेवाओं का लाभ उठाने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होती।

ई- गवर्नेस का परिभाषाएँ – Definition of e-governance

विश्व बैंक: ‘‘ ई – गवर्नेस से आशय सरकारियों एजेंसी द्वारा सुचना प्रौद्योगकी के प्रयोग से है जिसमे नागरिको ओर सरकार के अन्य अंगों के साथ संबंध परिवर्तित करने का सामर्थ्य है ।”

संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा:-
“ई-गवर्नेंस सरकार की प्रक्रियाओं को डिजिटलीकरण करने का एक तरीका है, जो जनता, व्यवसायों और अन्य सरकारी संस्थाओं को सेवाओं और सूचनाओं को बेहतर, तेज़ और अधिक पारदर्शी तरीके से प्रदान करने के लिए सूचना और संचार तकनीकों का उपयोग करता है।”

भारत सरकार की परिभाषा:-
“ई-गवर्नेंस सूचना और संचार तकनीकों का उपयोग करके नागरिकों और सरकार के बीच की दूरी को कम करने और सरकारी सेवाओं को अधिक कुशल और पारदर्शी तरीके से प्रदान करने की प्रक्रिया है। यह सरकारी कार्यप्रणालियों को डिजिटल रूप में बदलने और नागरिकों को ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करने पर केंद्रित है।”

 

ई – गावरेंस की विशेषताए – Features of e-governance

  • यह एक बहुआयामी प्रक्रिया एवं सुशासन लेन का साधन है, जिसका उद्देश्य सरकारी कार्यों में कार्यकुशलता, पारदर्शिता एवं प्रभावशीलता लाना है ।
  • इन विभिन्न प्रक्रिया ( कार्य ) के माध्यम से कार्यात्मक सूचनाएं सरलता से उपलब्ध कराई जा सकती है, जैसे – बिल जमा करना, शिकायत मंच , फॉर्म भरना आदि।
  • इसके माध्यम से कागजी कार्यवाहियों में कमी आती है हार्ड कॉपी की जगह सॉफ्ट कॉपी को बढ़ावा मिले ,जिसमे पर्यावरण संतुलन तथा अनावश्यक वित्त्तीय बोझ से निजात पाई जा शक्ति है ।
  • ई- शासन, लोक प्रशासन में स्वचालन ( automation ) को बढ़ावा देने की प्रक्रिया है, जैसे – अधिकारीयों द्वारा पर्यवेक्षण, नियंत्रण के लिए की गई कार्यवाहियाँ, व्यक्तिगत दौर आदि के सम्बन्ध में तुरंत जानकारी के माध्यम से कार्यकुशलता में वृद्धि व् पारदर्शिता आती है ।

ई-गवर्नेंस (E-Governance) की विशेषताएं उन तत्वों को दर्शाती हैं जो इसे पारंपरिक सरकारी प्रक्रियाओं से अलग और प्रभावी बनाते हैं। यहाँ ई-गवर्नेंस की प्रमुख विशेषताएं दी गई हैं:

1. पारदर्शिता (Transparency):
– ई-गवर्नेंस सिस्टम में सभी सरकारी प्रक्रियाएँ और सूचनाएँ ऑनलाइन उपलब्ध होती हैं, जिससे नागरिकों को सरकार की गतिविधियों और नीतियों के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलती है।
– भ्रष्टाचार कम करने में मदद मिलती है क्योंकि हर प्रक्रिया ट्रैक की जा सकती है।

2. कुशलता (Efficiency):
– डिजिटल प्रक्रियाओं के माध्यम से कार्यों का निष्पादन तेज और अधिक सटीक हो जाता है।
– सरकारी सेवाओं की आपूर्ति और प्रशासनिक कार्यों में समय और लागत की बचत होती है।

3. सुविधा (Convenience):
– नागरिक अपने घर या किसी भी स्थान से ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं, जिससे सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं होती।
– 24/7 सेवाएं उपलब्ध होती हैं, जिससे नागरिकों को अपनी सुविधा अनुसार सेवा प्राप्त करने में आसानी होती है।

4. उत्तरदायित्व (Accountability):
– ई-गवर्नेंस सिस्टम में हर गतिविधि का रिकॉर्ड रखा जाता है, जिससे किसी भी गलती या अनियमितता के लिए जिम्मेदारी तय की जा सकती है।
– नागरिकों को सेवाओं और शिकायतों की स्थिति की निगरानी करने की सुविधा मिलती है।

5. सार्वजनिक भागीदारी (Public Participation):
– ई-गवर्नेंस प्लेटफार्म्स के माध्यम से नागरिक नीतियों और निर्णयों में भाग ले सकते हैं।
– फीडबैक सिस्टम और ऑनलाइन सर्वेक्षणों के माध्यम से नागरिकों की राय और सुझाव प्राप्त किए जा सकते हैं।

6. सुरक्षा (Security):
– ई-गवर्नेंस सिस्टम में डेटा सुरक्षा और गोपनीयता को प्राथमिकता दी जाती है।
– सूचना की सुरक्षा के लिए विभिन्न तकनीकी उपाय और प्रोटोकॉल अपनाए जाते हैं।

7. समानता (Equity):
– सभी नागरिकों को समान रूप से सेवाओं का लाभ उठाने का अवसर मिलता है, चाहे वे किसी भी सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि से हों।
– डिजिटल डिवाइड को कम करने के प्रयास किए जाते हैं, ताकि सभी नागरिकों को डिजिटल सेवाओं तक पहुँच मिल सके।

8. समन्वय (Coordination):
– विभिन्न सरकारी विभागों और एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होता है, जिससे डेटा और सूचनाओं का आदान-प्रदान अधिक प्रभावी होता है।
– संयुक्त सेवाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से एकीकृत सेवाएं प्रदान की जाती हैं।

9. लागत प्रभावशीलता (Cost Effectiveness):
– ई-गवर्नेंस से पेपरलेस वर्किंग को बढ़ावा मिलता है, जिससे कागज और अन्य संसाधनों की बचत होती है।
– ऑनलाइन सेवाओं से प्रशासनिक लागतों में कमी आती है।

ई-गवर्नेंस की ये विशेषताएं इसे आधुनिक सरकारी प्रक्रियाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती हैं, जिससे नागरिकों को अधिक सुविधाजनक, सस्ती और पारदर्शी सेवाएं मिलती हैं।

 

E-governance

 

ई- गवर्नेस के लाभ – Benefits of e-governance

  • ननगरिकों को सरकारी सेवाओं की बेहतर आपूर्ति
  • प्रशासन में अलप भ्रष्टाचार
  • प्रशासन में पारदर्शिता की वृद्धि
  • अधिक दक्ष सरकारी प्रबंधन
  • व्यापार एवं उद्योग के साथ बेहतर अंतर्क्रियाए
  • सुचना तक पहुंच के माध्यम से नागरिकों का सशक्तिकरण
  • सुशासन प्रक्रिया में व्यापक नागरिक भागीदारी
  • प्रशासन प्रक्रिया में लालफीताशाही और कागजी कार्यवाही में कटौती
  • शासन के विभिन्न स्तरों के बीच बेहतर नियोजन तथा समन्वय
  • लोक प्राधिकारी एवं नागरिक समाज के बीच संबंधों में सुधार
  • सरकार की वैद्यता में वृद्धि

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भारत में ई- गवर्नेस ई पहल – E-Governance e-initiative in India

  •  सूचना तकनीक एवं सॉफ्ट्वेयर विकास पर एक राष्टीय कार्य दाल का गठन वर्ष 1998 में किया गया ।
  • वर्ष 2000 में सभी केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों में ई- प्रश्न के क्रियान्वयन के लिये एक ‘ बारह सूत्री न्यूनतम एजेंडा’ तैयार किया गया ।
  • वर्ष 2000 में  केंद्र में सूचना तकनीक विभाग का गठन किया गया । हलाकि, 2016 में इलेक्ट्रॉनिक और सूचना तकनीक विभाग को एक अलग मंत्रायल के रूप में बदल दिया गया ।
  • सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 पारित किया गया जिसे आवश्यकता पड़ने पर 2008 में भी संशोधित किया गया ।
  • वर्ष 2002 में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्मार्ट गवर्नमेंट ( NISG ) को पँजिक्रट किया गया ; जिसका मुख्यालय हैदराबाद में है ।
  • सेमी – कंडक्टर इंटीग्रेटेड सर्किट ले – आउट डिजाइन एक्ट, 2000  पारित किया गया ।

♦    आंध्रप्रदेश    –  ‘ ई-सेवा’ परियोजना

♦    कर्नाटक     –   ‘भूमि’ परियोजना

♦    मध्यप्रदेश   –  ‘ज्ञानदूत’ परियोजना

♦    उत्तरप्रदेश    –  ‘लोकवाणी’ परियोजना

♦    केरल          –  ‘फ्रेंड्स’ परियोजना

♦    राजस्थान   – ‘ई- मित्र’ परियोजना

 

भारत में ई-गवर्नेंस (ई-गवर्नेंस) का मतलब है – What does e-governance (e-governance) mean in India?

सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का उपयोग करके सरकारी सेवाओं को डिजिटल बनाना और नागरिकों को सुगम, पारदर्शी और कुशल सेवाएं प्रदान करना। भारत में ई-गवर्नेंस की प्रमुख पहलें निम्नलिखित हैं:-

1. डिजिटल इंडिया – Digital India
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करना है। इसके अंतर्गत तीन मुख्य घटक हैं:
– डिजिटल अवसंरचना: सभी नागरिकों को हाई-स्पीड इंटरनेट, मोबाइल फोन और डिजिटल पहचान (आधार) उपलब्ध कराना।
– गवर्नेंस और सेवाएं ऑन डिमांड: सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन और मोबाइल प्लेटफॉर्म पर सुलभ बनाना।
– डिजिटल साक्षरता: सभी नागरिकों को डिजिटल तकनीक का उपयोग करने में सक्षम बनाना।

2. आधार – AADHAR
आधार एक बायोमेट्रिक-आधारित अद्वितीय पहचान संख्या है जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी किया जाता है। यह नागरिकों को विभिन्न सरकारी और निजी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए एक डिजिटल पहचान प्रदान करता है।

3. उमंग (UMANG) एप्लिकेशन – UMANG Application
उमंग (Unified Mobile Application for New-age Governance) एक मोबाइल एप्लिकेशन है जो नागरिकों को विभिन्न सरकारी सेवाओं तक पहुंच प्रदान करता है। इसमें 100 से अधिक विभागों की 1200 से अधिक सेवाएं शामिल हैं, जैसे कि पैन कार्ड, पासपोर्ट, पीएफ, स्वास्थ्य सेवाएं, और बहुत कुछ।

4. भू-नक्ष (BhuNaksha) –
भू-नक्ष एक डिजिटल प्लॉट मैपिंग सॉफ्टवेयर है जो भूमि रिकॉर्ड्स को डिजिटल रूप में उपलब्ध कराता है। यह नागरिकों को अपनी भूमि की जानकारी ऑनलाइन देखने और प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता है।

5. ई-कोर्ट्स – e-courts
ई-कोर्ट्स मिशन मोड परियोजना का उद्देश्य भारतीय न्यायपालिका को डिजिटल बनाना है। इसके तहत न्यायालय के मामलों की स्थिति, अदालती आदेश, और अन्य संबंधित जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाती है। यह न्याय प्रक्रिया को पारदर्शी और त्वरित बनाता है।

6. ई-क्रांति (E-Kranti)
ई-क्रांति का उद्देश्य राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NeGP) के तहत विभिन्न सरकारी योजनाओं और सेवाओं को डिजिटल माध्यम से प्रदान करना है। इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, न्याय और वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में कई पहलें शामिल हैं।

7. नागरिक सेवा केंद्र (CSC)
सीएससी ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में नागरिकों को विभिन्न डिजिटल सेवाएं प्रदान करते हैं। यह एकल सेवा वितरण बिंदु के रूप में कार्य करते हैं और लोगों को सरकारी सेवाओं, बैंकिंग, बीमा, और शिक्षा सेवाओं तक पहुंचने में मदद करते हैं।

8. जीएसटी नेटवर्क (GSTN)
जीएसटीएन एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो वस्तु और सेवा कर (GST) से संबंधित सभी लेन-देन का प्रबंधन करता है। यह करदाताओं और सरकार के बीच पारदर्शिता और कुशलता सुनिश्चित करता है।

इन पहलों का उद्देश्य सरकारी प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी, प्रभावी और नागरिक-केंद्रित बनाना है। ई-गवर्नेंस से न केवल सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, बल्कि भ्रष्टाचार में कमी और नागरिकों के जीवन में सुधार भी हुआ है।

 

ई – गवर्नेस के मार्ग की बाधाएँ – Barriers to e-governance

  • पर्याप्त आधारभूत संरचना का आभाव, जैसे – कम्प्यूटर लागत में अधिक वृद्धि, जो लोगो की पहुंच से दूर है तो साथ ही, ऑप्टिकल फाइबर की केबल लाइन को बिछाना बहुत महँगा है ।
  • ई- गवर्नेस के प्रयोग मी भाषायी समस्या एक संवेदनशील मुद्दा है समाज के विभिन्न परतों एवं वर्गों द्वारा भिन्न – भिन्न भाषाओ का प्रयोग किया जाता है लेकिन इंटरनेट पर केवल हिंदी या अंग्रेजी भाषा का विकल्प ही उपलब्ध है ।
  • सूचना तकनीक से सम्बंधित सामग्री यथा- कम्प्यूटर, चिप, सी.पी.यू. आदि के निस्तारण की  समस्या । या तो इन्हे नदी नालों में फेका जाता है या जमीन के भीतर दबाया जाता है, दोनों ही मामले में पर्यावरण को क्षति ।
  • समाज में इंटरनेट के प्रति जागरूकता का आभाव एवं विश्वसनीयता की कमी है ।
  • साइबर क्राइम व् हैकिंग जैसी समस्या जिससे न केवल लोगो की जमा पूंजी को खतरा है, अपितु सरकार की गोपनियता सूचनाओं के लीक होने का खतरा भी है ।

भारत में ई-गवर्नेंस को लागू करने के मार्ग में कई बाधाएँ हैं। इन बाधाओं को समझना और उन्हें दूर करना आवश्यक है ताकि ई-गवर्नेंस की पहलें सफल हो सकें और नागरिकों को बेहतर सेवाएं मिल सकें।

कुछ प्रमुख बाधाएँ निम्नलिखित हैं:

1. डिजिटल अवसंरचना की कमी
– इंटरनेट और ब्रॉडबैंड की पहुंच:- ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट और ब्रॉडबैंड की कमी है, जिससे ई-गवर्नेंस सेवाओं का लाभ उठाना कठिन हो जाता है।
– डिजिटल डिवाइड:- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच डिजिटल सुविधाओं में असमानता है।

2. डिजिटल साक्षरता की कमी
– शिक्षा और जागरूकता: बड़ी संख्या में लोग, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, डिजिटल तकनीक और ई-गवर्नेंस सेवाओं के उपयोग के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं रखते हैं।
– तकनीकी कौशल: नागरिकों और सरकारी कर्मचारियों दोनों के लिए आवश्यक तकनीकी कौशल की कमी है।

3. भाषा और सांस्कृतिक विविधता
– बहुभाषी समर्थन: भारत में विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं, जिससे ई-गवर्नेंस सेवाओं को सभी भाषाओं में उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
– सांस्कृतिक विविधता: विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक मान्यताओं के कारण नई तकनीकों और प्रक्रियाओं को अपनाने में कठिनाई होती है।

4. साइबर सुरक्षा और गोपनीयता
– डेटा सुरक्षा: ई-गवर्नेंस सेवाओं में नागरिकों की व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी होती है, जिसे सुरक्षित रखना आवश्यक है।
– साइबर हमले: साइबर अपराध और हैकिंग के खतरे भी महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं।

5. संवेदनशीलता और विश्वास का अभाव
– विश्वास की कमी: नागरिकों के बीच ई-गवर्नेंस सेवाओं और डिजिटल लेन-देन के प्रति विश्वास की कमी है।
– संवेदनशीलता: सरकारी सेवाओं के डिजिटल होने से डेटा की गोपनीयता और संरक्षण को लेकर संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

6. समन्वय और एकीकरण की कमी
– विभिन्न विभागों के बीच समन्वय: विभिन्न सरकारी विभागों के बीच समन्वय की कमी के कारण ई-गवर्नेंस पहलें प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो पाती हैं।
– प्रक्रियाओं का एकीकरण: अलग-अलग प्रक्रियाओं और प्रणालियों का एकीकरण भी एक बड़ी चुनौती है।

7. वित्तीय संसाधनों की कमी
– प्रयाप्त निवेश: ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों की कमी है।
– लंबी अवधि की स्थिरता: परियोजनाओं को लंबे समय तक चलाने और बनाए रखने के लिए स्थायी वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है।

8. संविधानिक और कानूनी बाधाएँ
– कानूनी ढाँचा: कई ई-गवर्नेंस पहलें कानूनी और नियामक बाधाओं के कारण धीमी हो जाती हैं।
– नीतियों का अद्यतन: तेजी से बदलती तकनीक और आवश्यकताओं के साथ कानूनी नीतियों का अद्यतन आवश्यक है।

इन बाधाओं को दूर करने के लिए सरकार को व्यापक और समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता है, जिसमें नीतिगत सुधार, वित्तीय निवेश, तकनीकी नवाचार, और नागरिकों की भागीदारी शामिल है। इससे ई-गवर्नेंस की पहलें अधिक प्रभावी और समावेशी बन सकेंगी।

 

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