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Company : कम्पनी का निर्माण या स्थापना कैसे करते हैं – कंपनी का प्रवर्तन क्या होता है

Company : कम्पनी का निर्माण या स्थापना कैसे करते हैं – कंपनी का प्रवर्तन क्या होता है

कम्पनी का परिचय – Company Introduction

कंपनी की स्थापना या निर्माण के लिए एक वैधानिक प्रक्रिया को अपनाना आवश्यक होता है । कम्पनी के स्थापना के साथ-साथ इन्हे चलाने के लिए वैधानिक औपचारिकताओं को अपनाना आवश्यक होता है ।

कंपनियाँ विभिन्न रूप ले सकती हैं, जैसे एकल स्वामित्व, साझेदारी, सीमित देयता कंपनियाँ (एलएलसी), या निगम। किसी कंपनी को नियंत्रित करने वाली संरचना और नियम उसके कानूनी स्वरूप और उस क्षेत्राधिकार पर निर्भर करते हैं जिसमें वह संचालित होती है।

कंपनियों का लक्ष्य आम तौर पर सामान का उत्पादन या सेवाएं प्रदान करके मुनाफा कमाना होता है। वे विनिर्माण और खुदरा से लेकर प्रौद्योगिकी और वित्त तक विभिन्न उद्योगों और क्षेत्रों में काम कर सकते हैं। एक कंपनी का आकार काफी भिन्न हो सकता है, छोटे स्टार्टअप से लेकर दुनिया भर में संचालन करने वाले बड़े बहुराष्ट्रीय निगमों तक।

 

⇒ कंपनी की स्थापना के लिए प्रमुख प्रकार या भाग

⇒ कंपनी का प्रवर्तन

⇒ कम्पनी के प्रवर्तक या प्रवर्तन के प्रकार

⇒ पेशेवर प्रवर्तक 

⇒ कम्पनी के प्रवर्तक के प्रमुख कार्य या प्रवर्तन के अवस्थाए

⇒ कम्पनी का समामेलन

⇒ कम्पनी द्वारा व्यवसाय प्रारम्भ

 

 

कंपनी की स्थापना के लिए प्रमुख प्रकार या भाग – Major types or parts for setting up a company

  • कंपनी का प्रवर्तन
  • कंपनी का समामेलन
  • कंपनी द्वारा व्यवसाय का प्रारम्भ

कंपनी का प्रवर्तन – Company enforcement

कम्पनी का प्रवर्तन की परिभाषा- प्रवर्तन का आशय व्यावसायिक विचार की अवधारणा व सुअवसरों की खोज, उसके सम्बन्ध में विस्तृत जाँच – पड़ताल, पूंजी, संपत्ति तथा प्रबंध आदि  विभिन्न सभी आवश्यक तटों को एकत्रीकरण व् उनमे पारस्परिक समन्वय सम्बन्धी क्रियाओं से होता है ।

कंपनी का प्रवर्तन उसके संगठन और कार्यक्रमों को संचालित करने का तरीका है। यह कार्यक्रम विभिन्न स्तरों पर सम्पन्न होते हैं, जैसे कि उच्च स्तर के निर्देशन, नियंत्रण, विपणन, वित्तीय प्रबंधन, और उत्पादन। कंपनी का प्रवर्तन सुनिश्चित करता है कि सभी कार्यक्रम नियमित रूप से और सही तरीके से संचालित हों, जिससे कंपनी के उद्देश्यों और लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिले।

कंपनी का प्रवर्तन आमतौर पर बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स (Board of Directors) या मैनेजमेंट टीम द्वारा किया जाता है, जो कंपनी की दिशा निर्देशित करते हैं और निर्णय लेते हैं। कंपनी का प्रवर्तन उद्देश्य को साधने में मदद करने के लिए रचनात्मक और रणनीतिक निर्णयों का लेना भी शामिल होता है।

प्रवर्तक की परिभाषा – कोई भी व्यक्ति, या व्यक्तिओं का समूह या संख्या कम्पनी के प्रवर्तन में सहायता प्रदान करता है और इस सम्बन्ध में सभी आवकश्यक कार्य करता है उसे प्रवर्तक कहते है ।

 

कंपनी की स्थापना

 

कम्पनी के प्रवर्तक या प्रवर्तन के प्रकारTypes of promoters or promoters of the company

कंपनी का प्रवर्तन (Organization Structure) जो व्यवसाय के आकार, उद्देश्य, और संरचना के आधार पर विभिन्न होते हैं। ये प्रवर्तन व्यवसाय के विभिन्न क्षेत्रों और विभागों के बीच संगठन की सही और सुगम कार्यप्रणाली सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।

कंपनी के प्रवर्तक कई प्रकार से किये गए है –

पेशेवर प्रवर्तक: Professional Promoter

एक पेशेवर प्रवर्तक एक कम्पनी का प्रवर्तन करता है और फिर इसके बाद उसका नियंत्रण एवं प्रबंध उसके निदेशक मंडल को सौप देता है ।

“पेशेवर प्रवर्तक” (Professional Manager) एक व्यक्ति होता है जो किसी कंपनी या संगठन के प्रबंधन और संचालन की जिम्मेदारी लेता है। यह व्यक्ति अक्सर कंपनी के लिए नियुक्त किया जाता है ताकि उसके उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता मिल सके।

पेशेवर प्रवर्तक की कार्यक्षमता और योग्यता की आवश्यकता कंपनी के प्रकार और आकार पर निर्भर करती है। उनका काम विभिन्न क्षेत्रों में हो सकता है, जैसे कि वित्तीय प्रबंधन, मार्केटिंग, आपरेशन्स, मानव संसाधन, या अन्य क्षेत्र। उनकी जिम्मेदारियों में कंपनी के लक्ष्यों और रणनीतियों का पालन करना शामिल हो सकता है, साथ ही कर्मचारियों की प्रबंधन और उन्हें मार्गदर्शन करना भी।

 

वित्तीय प्रवर्तक: Financial originator

इस अवसर का लाभ उठाने के लिए वित्तीय संस्थाएँ  बैंकर आदि भी ने उदमों का प्रवर्तन कर देती है ।

वित्तीय प्रवर्तक की कुशलता कंपनी के लिए वित्तीय स्थिरता और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण होती है। वे वित्तीय विश्लेषण करते हैं, निवेश के निर्णय लेते हैं, बजट तैयार करते हैं, और वित्तीय रिपोर्टिंग का निर्देशन करते हैं। वे वित्तीय नियंत्रण की निगरानी करते हैं और कंपनी के लिए वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उपाय अपनाते हैं।

वित्तीय प्रवर्तक के कार्य में आमतौर पर लेखा, निर्धारण, नियमन, और वित्तीय रिपोर्टिंग के कार्य शामिल होते हैं। वे विभिन्न स्तरों के वित्तीय कर्मचारियों का प्रबंधन करते हैं और वित्तीय निर्णयों में सहायक रूप से सहायता प्रदान करते हैं। वित्तीय प्रवर्तक की योग्यता, नेतृत्व क्षमता, और वित्तीय विश्लेषण के कौशल कंपनी के उत्थान और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

 

प्रवृत्तियों के आधार पर प्रवर्तन या प्रवर्तक : enforcement or promoter based on trends

कंपनी के प्रवृत्तियों के आधार पर संगठित किया जाता है, जैसे विपणन प्रवृत्ति, वित्त प्रवृत्ति, योजना प्रवृत्ति, आदि।

वृत्तियों के आधार पर प्रवर्तन का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि व्यक्तियों के व्यवहार को समझने के बाद उन्हें प्रेरित किया जा सके ताकि वे कंपनी के लक्ष्यों की दिशा में सकारात्मक योगदान कर सकें।

इस प्रकार के प्रवर्तन में, प्रबंधक सामान्यत: निम्नलिखित कार्रवाइयों को करता है:

व्यक्तिगत प्रेरणा (Individual Motivation): व्यक्तिगत संवाद के माध्यम से कर्मचारियों को प्रेरित करना।
स्वाध्याय और समीक्षा (Self-reflection and Review): कर्मचारियों के व्यवहार का स्वाध्याय और समीक्षा करना।
प्रतिक्रिया और समर्थन (Feedback and Support): कर्मचारियों को उनके प्रदर्शन के बारे में प्रतिक्रिया और समर्थन प्रदान करना।
प्रोत्साहन (Encouragement): सकारात्मक प्रेरणा और प्रोत्साहन प्रदान करना।
साथीपन (Partnership): कर्मचारियों को साथी के रूप में शामिल करना और उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करना।

यह प्रक्रिया संगठन की संदेहात्मक प्रवृत्तियों को सकारात्मक और उत्तेजनापूर्ण प्रवृत्तियों में परिवर्तित करने में मदद करती है।

 

सरकार: सरकार और देश की आर्थिक, सामाजिक एवं राष्टीय दृष्टि के रूप से व्यावसायिक संस्थांओं का प्रवर्तन करती है आदि ।

 

मिश्रित प्रवर्तन या प्रवर्तन : mixed enforcement or enforcement

यह प्रवर्तन एक मिश्रित प्रकार का प्रवर्तन है जिसमें अनेक प्रकार के संरचना हो सकते हैं, जैसे फंक्शनल संरचना के साथ-साथ मैट्रिक्स संरचना आदि ।

“मिश्रित प्रवर्तन” विशेष रूप से उस प्रकार के प्रवर्तन को दर्शाता है जो पारंपरिक और नवाचारी तत्वों का मिश्रण करता है। इसमें पुराने और नए विचारधाराओं को सम्मिलित किया जाता है ताकि एक नई और समृद्ध सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक परियोजना को प्रारंभ किया जा सके।

इस दिशा में, “मिश्रित प्रवर्तन” एक अभिवृद्धि या विकास की प्रक्रिया का प्रतीक होता है, जिसमें प्रणालीकृत, सुसंगठित, और सामूहिक दृष्टिकोण के माध्यम से नवीनतम और प्रभावी तकनीकों, नीतियों, और अभियानों को संजीवित किया जाता है।

 

कम्पनी के प्रवर्तक के प्रमुख कार्य या प्रवर्तन के अवस्थाए –  Main functions of the promoter of the company or stages of promotion

विचारों की अवधारणा: व्यावसायिक संस्था की स्थापना का विचार किसी न किसी के दिमाग में आता है । या संस्था विचारों के आधार पर किया जाता है ।

जाँच पड़ताल: नए विचारों की अवधारण जाँच – पड़ताल करना आवश्यक होता है । और जाँच – पड़ताल बहुत सावधानी से की जनि चाहिए । जैसे – चार्टर एवं कास्ट एकाउंटेंट तथा इंजीनियर आदि ।

वित्त व्यवस्था: वित्त की व्यवस्था सभी आवश्यक तत्वों की व्यवस्था करने तथा समवन्य करने के उपरांत कम्पनी को प्रारंबीह करने के लिए आवश्यक वित्त की आवश्यक होती है ।

दस्तावेज तैयार करना: प्रवर्तक को कुछ दस्तावेज जैसे – पार्षद सीमा नियम और पार्षद अंतर्नियम तथा प्रवीरन आदि तैयार करने होते है । यह दस्तावेज मुख्य रूप से दस्तावेज समामेलन प्रमाण-पत्र एवं व्यवसाय प्रारम्भ प्रमाण – पत्र `

नाम का चुनाव: प्रवर्तक को कम्पनी के नाम का चुनाव भी करना होता है ।

 

⇒ साझेदारी का पुनर्गठन Reconstitution of Partnership

 

किसी कम्पनी के प्रवर्तक के प्रमुख कार्य और प्रवर्तन की अवस्थाएं कई हो सकती हैं, लेकिन निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण कार्य और अवस्थाएं सामान्यत: होती हैं:

1. विजन और मिशन का स्थापना: प्रवर्तक का पहला कार्य होता है कंपनी के लिए एक विजन और मिशन की स्थापना करना। यह उसके उद्देश्यों और लक्ष्यों को निर्धारित करने में मदद करता है।

2. व्यापार नीति और रणनीति का निर्धारण: प्रवर्तक को कंपनी की व्यापार नीति और रणनीति को तय करना होता है, जिसमें उसके उत्पादों, बाजार क्षेत्र, मूल्यनीति, और बाजारी क्रियावली शामिल होती है।

3. संस्थानिक संरचना और व्यवस्था का स्थापना: कंपनी के प्रवर्तक को संगठन की सही संरचना और व्यवस्था की निर्माण करने की जिम्मेदारी होती है, जिसमें शामिल होते हैं संस्थानिक संरचना, नियंत्रण और अधिकारिक व्यवस्था, और नेतृत्व की प्रणाली।

4. वित्तीय प्रबंधन: प्रवर्तक को कंपनी के वित्तीय प्रबंधन को संचालित करने की जिम्मेदारी होती है, जिसमें वित्तीय योजना, निवेश, वित्तीय रिस्क प्रबंधन, और लेन-देन शामिल होते हैं।

5. प्रशासनिक कार्य: प्रवर्तक को कंपनी के सामाजिक, कानूनी, और प्रशासनिक मामलों को संभालने की जिम्मेदारी होती है, जिसमें कर्मचारी प्रबंधन, कानूनी परामर्श, और संबंधित कानूनी अनुसारता शामिल होती है।

6. उत्पादों और सेवाओं का निर्माण और प्रस्तुतिकरण: प्रवर्तक की जिम्मेदारी में उत्पादों और सेवाओं के विकास, परीक्षण, और बाजार में प्रस्तुतिकरण शामिल होता है।

7. मार्केटिंग और बिक्री: कंपनी के प्रवर्तक को बाजार की अध्ययन करके उच्च गुणवत्ता और उपयोगी मार्केटिंग प्रणालियों को विकसित करने और उपयोग करने की जिम्मेदारी होती है।

8. ग्राहक संबंधों की देखभाल: प्रवर्तक को कंपनी के ग्राहक संबंधों को प्रबंधित करने की जिम्मेदारी होती है, जिसमें ग्राहक सेवा, उत्तरदायित्व, और संतोष को बढ़ावा देना शामिल होता है।

 

कम्पनी का समामेलन – company amalgamation

दो या दो से अधिक कंपनियों के मिलने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है, जिससे एक नई कंपनी बनती है। इस प्रक्रिया में, एक कंपनी दूसरी कंपनी को खरीदती है या फिर दोनों कंपनियाँ मिलकर एक नई कंपनी का गठन करती हैं। कम्पनी का समामेलन से आशय यह है की कम्पनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत एक निगमित संस्था के रूप में पंजीकरण से है ।

धिग्रहण (Acquisition): इसमें एक कंपनी दूसरी कंपनी को खरीदती है और उसकी संपत्ति, उद्यमशीलता, और अन्य संसाधनों का नियंत्रण प्राप्त करती है।

मर्जर (Merger): दो या अधिक कंपनियों का मिलन, जिससे एक नई कंपनी बनती है जिसमें पहले के कंपनियों के उत्पादों, सेवाओं, और संसाधनों को संयोजित किया जाता है।

कंपनी की संरचना और प्रबंधन के संबंध में परिवर्तन: समामेलन के बाद, कंपनी की संरचना और प्रबंधन में परिवर्तन हो सकते हैं जो संयुक्त कंपनी के आधारित होते हैं।

 

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कम्पनी द्वारा व्यवसाय प्रारम्भ – Company starts business

व्यवसाय की शुरुआत करने के लिए कंपनी को कई प्रकार के कार्य करने की आवश्यकता होती है। एक निजी कम्पनी समामेलन प्रमाण – पात्र प्राप्त होने के बाद अपना व्यापर या व्यवसाय आरम्भ कर सकते है । व्यवसाय प्रारम्भ करने का प्रमाण – पात्र प्राप्त करना पड़ता है ।

व्यवसाय योजना तैयार करें: एक व्यवसाय योजना तैयार करें, जिसमें व्यवसाय के उद्देश्य, लक्ष्य, उत्पाद, बाजार अनुसंधान, विपणन रणनीति, आर्थिक पूंजी, और कारोबार की व्यवस्था के बारे में विस्तार से बताया गया हो।

कंपनी का पंजीकरण: व्यवसाय का पंजीकरण करें, जिसमें कंपनी का नाम, संरचना, और संबंधित विवरण शामिल होते हैं।

उत्पाद या सेवाओं का विकसित करें: व्यवसाय के उत्पाद या सेवाओं का विकसित करें और उन्हें बाजार में पेश करें।

बाजारिकी योजना: एक मार्केटिंग योजना बनाएं जो आपके उत्पाद या सेवाओं को लक्ष्य ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए विभिन्न प्रयासों का विवरण करती है

 

किसी भी कंपनी द्वारा व्यवसाय प्रारंभ करने का प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण और गंभीर चरण होता है। – Process of starting a business by company

यह एक समय-ग्राही प्रक्रिया हो सकती है जिसमें कई चुनौतियों का सामना किया जाता है। निम्नलिखित कदम कंपनी द्वारा व्यवसाय प्रारंभ करने के सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा हो सकते हैं:

1. व्यावसायिक विश्लेषण और विचारात्मक निर्माण: प्रारंभिक चरण में, उद्यमी को व्यावसायिक विश्लेषण करना होगा, जो व्यवसायिक संभावनाओं को जांचने और व्यावसायिक योजना का निर्माण करने में मदद करेगा। यह स्थिति का विश्लेषण, लक्ष्यों का निर्धारण, और व्यावसायिक मॉडलिंग को शामिल कर सकता है।

2. व्यावसायिक योजना तैयार करना: एक व्यवसायिक योजना का निर्माण करना, जिसमें कंपनी के लक्ष्य, उत्पाद, बाजार स्थिति, विपणन रणनीति, वित्तीय योजना, और संगठन योजना शामिल होती है।

3. नामकरण और पंजीकरण: उद्यमी को कंपनी का नाम चुनना और उसे पंजीकृत करने के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होगा।

4. वित्तीय प्रारंभिकीकरण: उत्पादन और विपणन के लिए आवश्यक संसाधनों को निर्माण करने के लिए आवश्यक वित्तीय स्रोतों को प्राप्त करने की कोशिश करना।

5. कार्य करने के लिए अधिकृत और स्थायी स्थान चुनना: उद्यमी को व्यावसायिक कार्य के लिए एक स्थायी स्थान चुनना होगा, जो उत्पादन, विपणन, और प्रशासनिक कार्यों को संगठित और सहज बनाने में मदद करेगा।

6. उत्पादन और बाजार में प्रवेश: कंपनी के उत्पादों का निर्माण और बाजार में प्रवेश करने के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा करना।

7. संगठन और प्रबंधन: उद्यमी को एक कार्यकारी संगठन और प्रबंधन प्रणाली को शामिल करना होगा जो कंपनी के कार्यों को संचालित करने में सहायक होगा।

8. मार्केटिंग और प्रचारन: उत्पादों को बाजार में प्रस्तुत करने के लिए उच्च स्तरीय मार्केटिंग रणनीतियों को लागू करना।

यह स्तर से शुरू करते हुए, कंपनी को

निरंतर विकसित करने और बढ़ाने के लिए नियमित रूप से बदलाव किए जाने की आवश्यकता होती है।

 

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