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भारत के राज्य सभा या उच्च सदन का गठन / राज्य सभ के सदस्यों का निर्वाचन | राज्य सभा के पदाधिकारी Rajya Sabha

भारत के राज्य सभा या उच्च सदन का गठन / राज्य सभ के सदस्यों का निर्वाचन | राज्य सभा के पदाधिकारी Rajya Sabha

भारत के राज्य सभा या उच्च सदन का गठन – Constitution of Rajya Sabha or Upper House of India

  • भारतीय सविधान का अनुछेद 80 राज्य सभा के गठन का प्रावधान करता है।
  • राज्य सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 है वर्तमान में 245 है
  • राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि वहां की विधानसभाओं द्वारा चुने जाते हैं। चुनाव प्रत्यक्ष मतदान के बजाय एकल संक्रमणीय मत पद्धति (Single Transferable Vote System) के माध्यम से होता है।
  • राष्टपति का साहित्य, कला, और विज्ञान सेवा के समक्ष में विशेष ज्ञान रखने वाले 12 सदस्यों  को मनोनीत किया जाता है ।
  • कुल जो अधिकतम 238 हो सकते है, और वर्तमान में 233 है, निर्वाचित होते है ।
  • राज्य सभा की अधिकतम संख्या 250 है ।
  • जिनमे भारत के सभी प्रत्येक राज्य में कितने सदस्य होंगे इसका निर्धारण राज्य की जनसंख्या के आधार पर किया जाता है ।
  • उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सदस्यों की संख्या अधिक (31) है, और महाराष्ट में ( 19), तमिलनाडु में (18), बिहार में (16), तथा बंगाल में (16) की है ।

 

राज्य सभ के सदस्यों का निर्वाचन – Election of members of all the states –

  • राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन आनुपातिक प्रत्तिनिधित्व पद्धति द्वारा एकल संक्रमणीय मत के आधार पर है ।
  • जिसका वर्णन लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में विस्तार से किया गया है ।
  • भारत में भारतीय सविधान के अनुछेद 80(4) के  अनुसार राज्य विधानमंडल ( विधान सभा ) के निर्वाचित सदस्यों द्वारा ( मनोनीत नहीं ) राज्य सभा के सदस्यों का चयनकिया जाता है ।

 

भारत के राज्य सभा या उच्च सदन का गठन

 

राज्य सभा के सदस्यों की अर्हता ( अनुछेद 84) – Qualification of members of Rajya Sabha (Article 84) –

  • भारत का नागरिक हो ।
  • 30 वर्ष की आयु पूर्ण कर चूका हो ।
  • किसी लाभ के पद पर न हो । ( मंत्री पद को छोड़कर ) .
  • विकृत मस्तिष्क का न हो ।
  • यदि संसद विधि द्वारा कुछ और अर्हताएँ निर्धारित करे तो यह जरुरी है की उम्मीदवार उसे भी धारण करे ।

अनुच्छेद 84 के तहत राज्य सभा के सदस्य बनने के लिए स्पष्ट और सख्त अर्हताएँ निर्धारित की गई हैं, जो सदन की गरिमा और कार्यक्षमता को बनाए रखने में मदद करती हैं

 

 राज्य सभा के सदस्यों का कार्यकाल – Tenure of members of Rajya Sabha –

  • यह एक स्थायी सदन है ।
  • राज्य सभा का विघटन (Dissolution) कभी नहीं होता है । ( अनुच्छेद 83(1) ) के अनुसार ।
  • राज्य सभा के सदस्यों का कार्यकाल निश्चित होता है ।
  • इस सदन का  का प्रत्येक सदस्य 6 वर्ष के लिए चुना जाता है ।
  • प्रत्येक दो वर्ष बाद एक तिहाई सदस्य सेवा निवृत हो जाते है तथा उतने ही नए सदस्यों का निर्वाचन होता है । ( अनुच्छेद 83(1) ।

 

राज्य सभा के पदाधिकारी Officials of Rajya Sabha –

  • राज्य सभा में दो पदाधिकारी होते है – सभापति ( chairman ) और उपसभापति (deputy chairman)
  • राज्य सभा के सभापति और उपसभापती को भारत की संचित निधि से वेतन दिया जाता है ।
  • राज्य सभा सदस्यों द्वारा उसी सदन के किसी व्यक्ति को उपसभापति हेतु निर्वाचित कर दिया जाता है ।
  • भारत का उपराष्टपति राज्य सभा का पड़ें सभापति होते है ( अनुछेद 89 ) गौरतलब है की उपराष्टपति राज्य सभा का सदस्य नहीं होता है ।
  • यदि उपराष्टपती स्वयं चाहे तो राष्टपति को अपना त्यागपत्र देकर पद से मुक्त हो सकता है ।

राज्य सभा के पदाधिकारी सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से संचालित करने और विभिन्न प्रशासनिक और विधायी कार्यों को प्रभावी ढंग से निष्पादित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राज्य सभा के प्रमुख पदाधिकारी निम्नलिखित हैं:

1. सभापति (Chairman)
– राज्य सभा के सभापति भारत के उपराष्ट्रपति होते हैं।
– सभापति सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं और राज्य सभा के प्रमुख होते हैं।
– वे यह सुनिश्चित करते हैं कि सदन के नियमों और प्रक्रियाओं का पालन हो।
– जरूरत पड़ने पर, वे निर्णायक मत (casting vote) का प्रयोग कर सकते हैं।

2. उपसभापति (Deputy Chairman)
– उपसभापति राज्य सभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।
– जब सभापति अनुपस्थित होते हैं, तब उपसभापति सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं।
– वे सदन के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने में सभापति की सहायता करते हैं।

3. नेता सदन (Leader of the House)
– नेता सदन राज्य सभा में सरकार का प्रमुख प्रतिनिधि होता है।
– आमतौर पर यह पद प्रधानमंत्री या उनके द्वारा नामित किसी वरिष्ठ मंत्री को दिया जाता है।
– नेता सदन सदन में सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों का समर्थन करते हैं और विपक्ष के सवालों का उत्तर देते हैं।

4.नेता प्रतिपक्ष (Leader of the Opposition)
– नेता प्रतिपक्ष उस पार्टी का प्रमुख होता है जो राज्य सभा में प्रमुख विपक्षी पार्टी है और जिसका कम से कम 10% सदस्यों का समर्थन हो।
– वे सरकार की नीतियों और कार्यों की आलोचना करते हैं और विपक्ष की राय प्रस्तुत करते हैं।

5. सचिव-जनरल (Secretary-General)
– सचिव-जनरल राज्य सभा के सचिवालय का प्रमुख होता है।
– वे प्रशासनिक और संसदीय कार्यों का प्रबंधन करते हैं और सदन की कार्यवाही के रिकॉर्ड को बनाए रखते हैं।
– सचिव-जनरल सदन की समितियों के कार्यों का समन्वय भी करते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण पदाधिकारी:

6. मार्शल (Marshal)
– राज्य सभा में मार्शल सदन की सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने का कार्य करता है।

7. सभापति के पैनल (Panel of Vice-Chairmen)
– यह पैनल कुछ सदस्यों का समूह होता है जिसे सभापति द्वारा नामित किया जाता है।
– जब सभापति और उपसभापति दोनों अनुपस्थित होते हैं, तब इस पैनल के सदस्य सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं।

समितियाँ:
– राज्य सभा में विभिन्न समितियाँ होती हैं, जैसे प्रवर समितियाँ (Standing Committees) और विशेष समितियाँ (Select Committees), जो विशेष विधायी और प्रशासनिक कार्यों में सहायक होती हैं।
– इन समितियों के अध्यक्ष और सदस्य भी महत्वपूर्ण पदाधिकारी होते हैं।

इन पदाधिकारियों की भूमिकाएं और कर्तव्य राज्य सभा की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने और सदन के विभिन्न कार्यों को प्रभावी ढंग से निष्पादित करने में अहम हैं।

♦  राज्य सभा की सदस्यता की अवधि समाप्ति पर । 

♦  सभापति  को अपना त्यागपत्र देकर ।  

♦ राज्य सभा के समस्त सदस्यों के बहुमत से संकल्प पारित करके ; ऐसा करने की 14 दिन पूर्व सुचना देना आवश्यक होता है । 

 

राज्य सभा की शक्तिया एवं कार्य – Powers and functions of Rajya Sabha

विधिया – 

  • सविधान संशोधन विधेयकों के सन्दर्भ में राज्य सभा की शक्तिया लोक सभा को शक्तिया के बराबर है ।
  • धन विधेयक के मामले में राज्य सभा को लोक सभा की तुलना में सीमित शक्ति प्राप्त है ।
  • इस सन्दर्भ में राज्य सभा को 14 दिनों के भीतर विचार करके अपनी राय लोक सभा को भेजनी होती है ।
  • गैर – वित्तीय विधेयकों के सन्दर्भ में लोक सभा की भाटी राज्य सभा को भी उतनी ही सकती प्राप्त है । ऐसे विधेयक दोनों सदनों की सहमति के बाद ही कानून बनते है ।

विशिष्ट – 

  • देश के संघात्मक ढांचे को बनाए रखने के लिए राज्य सभा के पास दो विशिष्ट अधिकार है, जो की लोक सभा के पास नहीं –

⇒  अनुछेद 249 के अंतर्गत राज्य सभा उपस्थित और मतदान करने वाले दो तिहाई सदस्यो के बहुमत से राज्य सूचि में शामिल किसी विषय को राष्टीय महत्व को घोसित कर सकती है ।

⇒  अनुछेद 312 के तहत राज्य सभा उपस्थित और मतदान करने वाले दो तिहाई सदस्यों के समर्थन से कोई नई अखिल भारतीय सेवा स्थापित कर सकती है ।

अन्य –

  • आपातकाल की अवधि यदि एक माह से अधिक है और उस समय लोक सभा विघटित हो तो राज्य सभा का अनुमोदन कराया जाना जरुरी होता है ।
  • राज्य सभा के सदस्य उपराष्टपति के चुनाव में भी भाग लेते है ।
  • राज्य सभा के निर्वाचित सदस्य राष्टपति के निर्वाचक मंडल का हिस्सा होते है ।
  • उपराष्टपति को हटाने का प्रस्ताव केवल राज्य सभा में ही लाया जाता है ।
  • राष्टपति के महाभियोग तथा उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायालयों के न्यायाधीशों और अन्य संवैधानिक पदाधिकारियों को पद से हटाने में अपनी भूमिका निभाते है ।

 

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