मध्यकालीन भारत के प्रमुख युध्य Major battles of medieval India
मध्यकालीन भारत के प्रमुख युध्य Major battles of medieval India
मध्यकालीन भारतीय इतिहास की शरुआत गुप्त साम्राज्य के पतन से लेकर दिल्ली सल्तनत के उदय ताकि मानी जाती है हर्ष साथ – साथ मुग़ल साम्राज्य के उदय तक मानी जाती है हर्ष की मृत्यु के बाद एक वृह्रत और शक्तिशाली स्थान पर अनेक छोटे – छोटे एवं दुर्बल राज्यों का उदय हुआ। विदेशियों ने इसका फायदा उठाने के लिए कई बार आकम्रण किये जिससे भारत में मुस्लिम शासन की नीव रखी गई। मध्यकालीन भारत में हुए महत्वपूर्ण युद्धों का संक्षिप्त ब्यौरा निन्म है
तराइन का प्रथम युध्य – First Battle of Tarain
भारतीय इतिहास में तराइन का युद्ध महत्पूर्ण है। ‘तराइन’ या ‘तरावडी ‘ वर्तमान में थानेश्वर ( हरियाणा ) के निकट स्थित है। तराइन का प्रथम युध्य 1191 ई. में अजमेर के राजा पृथ्वीराज चौहान और मुस्लिम आक्रमणकारी मुहम्मद गोरी के मध्य लड़ा गया। इस युध्य में मुहम्मद गोरी की करारी हार हुई . युध्य में पृथ्वीराज चौहान ने राजपूतों की मिली – जुली सेना का नेतृत्व किया जिसे कन्नौज और बनारस के राजा जय्यद का भी समर्थन प्राप्त था। इस युद्ध में जीत से सम्पूर्ण भारतवर्ष में पृथ्वीराज चौहान की थक जम गई।
तराइन का द्वितीय युद्ध – Second Battle of Tarain
पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गोरी के बीच तराइन का दूसरा युद्ध 1192 ई. में लड़ा गया। इस युद्ध में मुस्लिमों की विजय और राजपूतों की पराजय हुई इस युद्ध से पहले पृथ्वीराज के कई हिन्दू राजाओ से युद्ध हो चुके थे और इन राजाओं से उसके आपसी सम्बन्ध सौहाद्रपूर्ण नहीं थे, जिस कारण अधिकांश राजपूत राजाओ ने पृथ्वीराज चौहान का साथ नहीं दिया इस विजय के बाद मुस्लिम उत्तर भारत में जम गए। यह युद्ध वास्तव में दोनों ओर के घुड़सवारो की तेजी से और दक्षता के कारन मुहम्मदे गोरी की विजय हुई।
पानीपत का प्रथम युद्ध – First Battle of Panipat
यह युद्ध दिल्ली के सुलतान इब्राहीम लोदी ( अफगान ) और बाबर के मध्य 12 अप्रैल, 1526 ई. को लड़ा गया। यह युद्ध सम्भवतः बाबर की महत्वाकांक्षी योजनाओ की अभिव्यक्ति थी। ऐसा मन जाता है की निर्णय एक दिन में ही हो गया था, इसमें इब्राहीम लोदी पराजय हुई थी।
पानीपत का दूसरा युद्ध – Second Battle of Panipat
यह युद्ध 5 नवम्बर, 1556 ई. को अफगान बादशाह आदिलशाह सूर के योग्य हिन्दू सेनापति और मंत्री हेमू और अकबर की सेना के बीच लड़ा गया। इस युध्य के फलस्वरूप दिल्ली पर वर्चस्व के लिए मुगलों और अफगानो चलने वाला संघर्ष मुगलो के पक्ष में निर्णीत गया।
पानीपथ का तीसरा युद्ध – Third Battle of Panipath
पानीपत का तीसरा युद्ध 14 जबवरी, 1761 ई. को अफगान आक्रमणकारी अहमदशाह अब्दाली बादशाह शाहआलम द्वितीय के संरक्षक और सहायक मराठो के बीच हुआ। युध्य में अब्दाली में अब्दाली ने मराठा सेनाओ को निर्णयात्मक रूप . इस हार से मराठो की राजयशक्ति को भरी धक्का लगा इस युद्ध को 18 वी सदी के सबसे बड़े युद्धों में से एक माना है।
हल्दी घाटी का युद्ध – battle of haldi valley
यह युद्ध मुग़ल बादशाह और महराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 ई.को लड़ा था। यह युद्ध महाभारत के युद्ध विनाशकारी हुआ था ऐसा माना जाता है की इसमें न तो अकबर जीत सका और न ही महाराणा प्रताप हारे। मुगलो के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रतापो के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी। महाराणा प्रताप ने आखरी समय तक अकबर से संधि की बात स्वीकार नहीं की थी।
अन्य प्रमुख मध्यकलीन युद्ध – Other major medieval wars
खानवा युध्य (17 मार्च 1527 ) – Khanwa war
यह युद्ध आगरा के समीप खानवा गांव में बाबर और मेवाड़ के सांगा के बीच, जिसमे बाबर विजय रहा था। इस जीत के बाद बाबर ने ‘गंजी’ की उपाधि धारण की थी।
चंदेरी का युध्य (1528 ई.) – battle of chanderi
चंदेरी का युद्ध बाबर और मेदिनी राय के नेतृत्व वाली राजपूती सेना के बीच लड़ा गया इसमें मेदिनी रे की पराजय हुई और उसने बाबर की अधीनता स्वीकार कर ली।
घाघरा का युध्य ( 6 मई, 1529 ई. ) – battle of ghaghra
यह भारतीय इतिहास के प्रसिद्धि युद्धों में से एक है जो मुग़ल बादशाह बाबर और अफगानो के मध्य लड़ा गया था। इस युद्ध में महमूद लोदी के न्रेतत्व में लड़ रहे अफगानो के करारी शिकस्त मिली।
तालीकोटा का युद्ध ( 26 जनवरी, 1565 ई. ) – battle of talikota
यह युद्ध दक्क्न की सल्तनतों और विजय नगर साम्राज्य के बीच लड़ा गया इस युद्ध में विजयनगर सम्राज्य को हर का सामना करना पड़ा। इस युद्ध को ‘राक्षसी टंगड़ी का युद्ध’ और ‘बन्नीहट्टी का युद्ध’ नाम से भी जाना जाता है।
सामूगढ़ का युद्ध ( 29 मई, 1658 ई. ) – battle of samugarh
यह युद्ध मुगलबादशाह शाहजहाँ के पुत्रों दारा शिकोह और औरंगजेब तथा मुरादबख्श की सयुक्त सेनाओ के बीच हुआ था। इसमें डरा शिकोह को पराजय मिली थी।
सूरजगढ़ का युद्ध ( 1534 ई. ) – Battle of Surajgarh
सूरजगढ़ का युद्ध अफगान शसक शेरशाहमहमूद खा के बीच लड़ा गया था। इसमें बंगाल के शासक की पराजय हुई और बिहार पर शेरशाह का एकछत्र अधिकार हो गया।
धरमत का युद्ध (15 अप्रैल, 1658 ) – war of dharmat
यह युद्ध मुग़ल शासक शाह जहा की शाही सेना और औरंगजेब के बीच हुआ था इस युद्ध में दारा शिकोह के नेतृत्व वाली शाही सेना की करारी हार हुई।
कर्नाटक युद्ध – karnataka war
प्रथम (1746-47)
द्वितीय (1749-54)
तृतीय ( 1756-63)
कर्नाटक युद्ध के अंतर्गत तीन युद्ध लड़े गए। ये युद्ध अंग्रेजो तथा फ्राँसियों के बीच लाडे गए थे ये युद्ध अंग्रेजो आओर फ्रांसीसियों की यूरोप की प्रतिदून्दीता से भी सम्बंदित थे।
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