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भारत की खनिज सम्पदा – Mineral wealth of India | Major organizations and institutions formed by the Government of India in relation to excavation

भारत की खनिज सम्पदा – Mineral wealth of India | Major organizations and institutions formed by the Government of India in relation to excavation

भारत की खनिज सम्पदा -Mineral wealth of India

खनिज प्रकृति में पाया जाने वाले वह पदार्थ है जिसमे मुख्य रूप से एक रासायानिक तत्व या यागिस उपस्थति रहता है । खनिज सम्पदा की उपलब्धि की दृष्टि से भारत की गिनती विश्व के खनिज संशाधन सम्पन्न देशों में की जाती है । चुकी भारत की भूगभीरक संरचना में प्राचीन दृढ भूखंडो का योगदान है अतः यहाँ लगभग सभी प्रकार खनिजों की प्राप्ति होती है । भारत में प्रमुख रूप से 17 खनिज संशाधन पाए जाते है ।

खनिजों के प्रकार – types of minerals

लौह खनिज –

इनसे धात्विक लौह ( आयरन ) का आर्थिक निष्कर्षण किया जात्ता है । इनमे आमतौर पर आयरन ऑक्साइड की बहुत अधिक मात्रा होती है । भारत में अधिक मात्रा में पाए जाने वाले लौह खनिजों में मैंगनीज अयस्क, क्रोमाइट, पायराइट, हैमेटाइट, आदि शामिल है ।

अलौह खनिज –

अलौह धात्विक खनिजों में तांबा, बाक्साइट, जिंक, सीसा, सोना, चाँदी आदि  आते है बाक्साइट को छोड़कर भारत में अन्य अलौह धात्विक खनिजों का उत्पादन पर्याप्त नहीं है ।

Mineral wealth of India

भारत खनिज सम्पदा के मामले में एक समृद्ध देश है।

यहाँ कई महत्वपूर्ण खनिज मिलते हैं जो देश की आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

यहाँ भारत की प्रमुख खनिज सम्पदा India’s major mineral रिसोर्सेज के बारे में जानकारी दी गई है:-

 

1. लौह अयस्क (Iron Ore):भारत दुनिया में लौह अयस्क के उत्पादन में अग्रणी है। मुख्य रूप से ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक और गोवा में इसका खनन होता है।

2. कोयला (Coal): भारत दुनिया में कोयले के बड़े उत्पादकों में से एक है। झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य हैं।

3. बॉक्साइट (Bauxite): बॉक्साइट भारत में मुख्यतः ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पाया जाता है। यह एल्यूमिनियम उत्पादन के लिए मुख्य कच्चा माल है।

4. क्रोमाइट (Chromite): ओडिशा और कर्नाटक में प्रमुख रूप से क्रोमाइट का खनन किया जाता है। यह स्टेनलेस स्टील उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।

5. मैंगनीज (Manganese):भारत में मैंगनीज का खनन मुख्यतः मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और कर्नाटक में होता है। यह स्टील उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है।

6. तांबा (Copper): भारत में तांबे का उत्पादन झारखंड और राजस्थान में होता है। तांबा विद्युत उपकरणों और अन्य उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण है।

7. चूना पत्थर (Limestone):चूना पत्थर मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और आंध्र प्रदेश में पाया जाता है। यह सीमेंट उत्पादन में मुख्य कच्चा माल है।

8. सोना  (Gold):भारत में कर्नाटक के कोलार गोल्ड फील्ड्स में सुनहरे का खनन हुआ है।

9. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस (Petroleum and Natural Gas): भारत में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस का उत्पादन मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और असम में होता है।

10. अम्रक (Mica): झारखंड, बिहार, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में मिकी का खनन होता है। यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और अन्य उद्योगों में प्रयोग होता है।

भारत की खनिज सम्पदा आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है और देश के औद्योगिक क्षेत्र के लिए आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति करती है।

 

भारत के प्रमुख खनिज संस्थान- Major mineral institutes of India-

 

खनिज अनुसंजधान एवं विकास – Mineral Research and Development

भारत सरकार  द्वारा खनिज संसाधनों का गठन किया गया है । खनिज उत्खनन को संविधि दर्जा देने के लिए वर्ष 1957 में ‘ खदान एवं खनिज ( विकास एवं विनियमन ) अधिनियम’ लागू किया गया । भारत सरकार द्वारा उत्खनन के सम्बन्ध में गठित प्रमुख संगठनों व संस्थानों Major organizations and institutions formed by the Government of India in relation to excavation का संक्षिप्त विवरण –

 

खनिज अनुसंधान और विकास (Mineral Research and Development) किसी देश की खनिज संपदा को अधिकतम उपयोग में लाने, आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने और उद्योगों को स्थायी रूप से बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के कुछ प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं:

खनिज अन्वेषण (Mineral Exploration): नए खनिज भंडारों की खोज और उनकी विस्तृत भूवैज्ञानिक जांच महत्वपूर्ण होती है। भूवैज्ञानिक, जियोफिजिकल, और जियोकेमिकल तकनीकों का उपयोग करके खनिज भंडारों की पहचान की जाती है।
खनिज उत्खनन तकनीक (Mining Techniques): खनिजों को निकालने के लिए उन्नत तकनीकों का विकास किया जाता है। सतह और भूमिगत खनन दोनों में नयी तकनीकों का प्रयोग किया जाता है ताकि पर्यावरणीय प्रभावों को कम किया जा सके और उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सके।
खनिज प्रसंस्करण (Mineral Processing): खनिजों के निष्कर्षण के बाद, उन्हें संसाधित करना आवश्यक होता है। उन्नत तकनीकों का विकास खनिजों के शुद्धिकरण, प्रसंस्करण, और अलग-अलग खनिजों की पहचान में मदद करता है।
पर्यावरणीय प्रबंधन (Environmental Management): खनिज उत्खनन और प्रसंस्करण के दौरान पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए अनुसंधान और विकास आवश्यक हैं। इससे प्रदूषण नियंत्रण, जल संरक्षण, और खनन के बाद भूमि की बहाली के लिए उपाय विकसित किए जा सकते हैं।
खान सुरक्षा (Mine Safety): खनन कार्यों के दौरान सुरक्षा को बढ़ाने के लिए नए उपकरण और प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित किए जाते हैं। इससे खनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

 

भारतीय खान ब्यूरो ( आईबीएम ) – Indian Bureau of Mines

भारतीय खान ब्यूरो की स्थापना 1 मार्च, 1948 को हूई । इसका मुख्यालय नागपुर, महाराष्ट्र में स्थित है

प्रारम्भ में यह शुध्य रूप से एक परामर्शी निकाय के रूप में कार्य करता था । वर्तमान में यह कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, आणविक खनिज और लघु खनिज को छोड़कर, संरक्षण, खनिज,  संसाधनों का वैज्ञानिक विकास तथा खानों में पर्यावरण सुरक्षा को बढ़ावा देने में कार्यरत है ।

भारतीय खान ब्यूरो के प्रमुख कार्य और जिम्मेदारियां निम्नलिखित हैं: Major functions and responsibilities of Indian Bureau of Mines

  • खनिजों की निगरानी और विनियम: IBM खनिज खनन और खनिज प्रसंस्करण गतिविधियों की निगरानी करता है और खनिज खनन को विनियमित करता है।
  • खनिज अन्वेषण: IBM खनिज अन्वेषण गतिविधियों की निगरानी करता है और राज्यों को खनिजों के संभावित भंडारों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • खनिज संरक्षण: खनिजों के उचित उपयोग और संरक्षण के लिए नियमों और दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करता है।
  • खनिज उत्पादन और खपत की रिपोर्ट: IBM खनिज उत्पादन और खपत के आंकड़ों का संकलन और विश्लेषण करता है, जो सरकार और अन्य संगठनों को उपलब्ध कराता है।
  • खनिज विकास और अनुसंधान: खनिज उद्योग के विकास और अनुसंधान के लिए IBM नई तकनीकों का परीक्षण और अध्ययन करता है।
  • खनन क्षेत्र में सुरक्षा: IBM खनन क्षेत्र में सुरक्षा मानकों की निगरानी करता है और सुरक्षा के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करता है।
  • खनिज औद्योगिक कच्चा माल के रूप में उपयोग: IBM खनिजों के औद्योगिक कच्चा माल के रूप में उपयोग को बढ़ावा देता है।
  • खनिज आवंटन: IBM खनिज खनन के लिए लाइसेंस और पट्टों के आवंटन की निगरानी करता है।
  • खनिज कानून और नियमों की सलाह: IBM खनिज खनन के नियमों और कानूनों के बारे में सलाह देता है और खनिज कानूनों का पालन सुनिश्चित करता है।

 

मिनरल एक्सप्लोरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड ( एम्ईसीएल ) – Mineral Exploration Corporation Limited

इसकी स्थापना अक्टूबर, 1972 में सार्वजनिक क्षेत्र की स्यायत्त कम्पनी के रूप में की गई । इसके मुख्य कार्यों में खनिज संसाधनों के अनुसंधान के लिए योजना प्रोत्साहन, संगठन एवं क्रियावन्यम कार्यक्रमों को तैयार करना है । इसका मुख्यालय नागपुर ( महाराष्ट ) में स्थित है ।

 एमईसीएल के प्रमुख कार्य और जिम्मेदारियां निम्नलिखित हैं: Major functions and responsibilities of MECL

  • खनिज अन्वेषण: एमईसीएल विभिन्न प्रकार के खनिजों जैसे कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट, तांबा, सीसा, जस्ता, सोना, चांदी, और अन्य खनिजों के भंडारों की खोज और अन्वेषण करता है।
  • भूवैज्ञानिक सेवाएँ: एमईसीएल भूवैज्ञानिक, भूभौतिकीय, और भू-रासायनिक सेवाएँ प्रदान करता है। इसमें भूवैज्ञानिक मानचित्रण, ड्रिलिंग, नमूना संग्रहण, और विश्लेषण शामिल हैं।
  • खनिज विकास: एमईसीएल खनिजों के विकास के लिए परियोजनाओं का प्रबंधन और निगरानी करता है। यह परियोजनाओं की योजना, डिजाइन, और कार्यान्वयन में सहायता प्रदान करता है।
  • खनिज ड्रिलिंग और परीक्षण: एमईसीएल उन्नत ड्रिलिंग तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करके खनिज भंडारों की जांच करता है। यह भूगर्भीय और भूवैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर ड्रिलिंग और परीक्षण करता है।
  • पर्यावरणीय मूल्यांकन: एमईसीएल परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन करता है और स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए उपायों की सलाह देता है।

 

राष्टीय खनिज गति – National Mineral Momentum

वित्तीय व्यापार और औद्योगिक शासनों में जुलाई, 1991 में भारत सर्कार द्वारा शुरू किये गए सुधारों के अनुसरण में मार्च, 1993 में राष्टीय खनिज नीति की घोषणा की गई । राष्टीय खनिज द्वारा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश ( एफडीआई ) सहित निजी निवेश को प्रोत्साहन करने और खनिज क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रोद्योगिक को आकर्षित करने की आवश्यकता की पहचान की गई है । सर्कार दोपारा 13 मार्च, 2008 को इस नीति के स्थान पर नई राष्टीय खनिज नीति, 2008 में प्रस्तुत की गई । जिसमे अन्वेषण और खनन में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने जैसे केंद्र और राज्य सरकारों के कई कार्यों में बदलाव किये गए है ।

“राष्ट्रीय खनिज गति” (National Mineral Momentum) शब्द विशेष रूप से किसी विशिष्ट सरकारी योजना या नीति को संदर्भित नहीं करता है, क्योंकि यह संभव है कि आपका प्रश्न हाल ही में लागू किसी नीति या योजना के संदर्भ में हो।

 

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण – Geological Survey of India –

वर्ष 1851 में स्थापित भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ( जीएसआई ) भारत सरकार के खान मंत्रायलय के अधीन कार्यरत संगठन है, जो भूवैज्ञानिक सूचनाओँ एवं जानकारी का संग्रह करता है, उन्हें अघतन रखता है और इसके लिए जमीनी, समुद्री तथा आकाशीय सर्वेक्षण करता है । इसका मुख्यालय कोलकाता ( पश्चिम बंगाल ) में स्थित है ।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के प्रमुख कार्य और जिम्मेदारियां निम्नलिखित हैं: Major functions and responsibilities of Geological Survey of India

  • भूवैज्ञानिक मानचित्रण:-  GSI भारत के विभिन्न क्षेत्रों का विस्तृत भूवैज्ञानिक मानचित्रण करता है। यह देश के भूवैज्ञानिक ढांचे, चट्टानों, खनिजों और अन्य भूवैज्ञानिक विशेषताओं का अध्ययन करता है।
  • खनिज संसाधनों की खोज:- GSI विभिन्न खनिजों जैसे लौह अयस्क, कोयला, बॉक्साइट, चूना पत्थर, तांबा, सीसा, जस्ता, सोना, और अन्य खनिजों की खोज और अन्वेषण करता है।
  • भूभौतिकीय और भूगर्भीय अध्ययन:-  GSI भूभौतिकीय और भूगर्भीय अध्ययन करता है जो खनिज खोज, जल संसाधन, और भूवैज्ञानिक खतरों के आकलन में मदद करता है।
  • भूवैज्ञानिक अनुसंधान:-  GSI विभिन्न भूवैज्ञानिक विषयों पर अनुसंधान करता है, जिसमें भूविज्ञान, भूभौतिकी, भू-रासायनिक अध्ययन, और भूविज्ञान के अन्य पहलू शामिल हैं।
  • भूकंप और भू-खतरों का अध्ययन:-  GSI भूकंप, भूस्खलन, और अन्य भू-खतरों का अध्ययन करता है और उनके प्रभावों को कम करने के लिए सलाह प्रदान करता है।
  • जल संसाधन अध्ययन:-  GSI जल संसाधनों की उपलब्धता और गुणवत्ता का अध्ययन करता है और जल प्रबंधन के लिए सुझाव देता है।
  • जनता के लिए सूचना प्रसार:-  GSI भूवैज्ञानिक मानचित्र, रिपोर्ट, और अन्य जानकारी जनता के लिए उपलब्ध कराता है और भूवैज्ञानिक विषयों पर मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • वैज्ञानिक प्रशिक्षण और शिक्षा:-  GSI वैज्ञानिकों, छात्रों, और सरकारी अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रम आयोजित करता है।

 

राष्टीय खनिज अन्वेषरन नीति -National Mineral Exploration Policy

केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में गैर – ईंधन आओर गैर – कोयला खनिज संसाधनों की व्यापक खोज के अनुकूल के लिए राष्टीय खनिज अन्वेषण नीति 2016 जारी की । इसका उद्देश्य देश के खनिज संसाधनों को सर्वोत्तम उपयोग करने अर्थव्यवस्था में क्षेत्रीय योगदान को अधिकतम करने के लिए देश में अन्वेषण गतिविधि को तेज करना है ।

इस नीति का उद्देश्य देश में खनिज अन्वेषण गतिविधियों को बढ़ावा देना, खनिज संसाधनों की खोज को तेज करना, और देश के खनिज क्षेत्र में अधिक से अधिक निवेश आकर्षित करना है।

 

यह राष्टीय खनिज अन्वेषरन नीति कुछ प्रमुख लक्ष्यों और उद्देश्यों पर केंद्रित है: Major goals and objectives of the National Mineral Exploration Policy

  • खनिज अन्वेषण में निवेश:- नीति खनिज अन्वेषण के लिए निजी और विदेशी निवेश को आकर्षित करने पर केंद्रित है। इससे देश में खनिज अन्वेषण की गति को बढ़ाने की उम्मीद है।
  • खनिज अन्वेषण गतिविधियों का विस्तार:- नीति के तहत खनिज अन्वेषण के लिए नए क्षेत्रों की पहचान की जाती है और उन पर काम करने के लिए दिशा-निर्देश और प्रक्रियाएं निर्धारित की जाती हैं।
  • खुले प्रतिस्पर्धी बोली:- खनिज अन्वेषण ब्लॉकों की नीलामी पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से की जाती है, ताकि खनिज खोज में अधिकतम निवेश और दक्षता सुनिश्चित हो सके।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग:- उन्नत तकनीकों और उपकरणों का उपयोग खनिज अन्वेषण में किया जाता है, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली खोज और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित हो सके।
  • सहयोग और साझेदारी:- नीति में सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच साझेदारी को बढ़ावा दिया जाता है, ताकि खनिज अन्वेषण के लिए संसाधनों और विशेषज्ञता का सही उपयोग हो सके।
  • खनिज डेटा का संग्रह और प्रसार:- खनिज अन्वेषण में जुटाए गए डेटा का संग्रह और उसका उपयोग नीति का एक प्रमुख पहलू है। यह डेटा खनिज अन्वेषण में मार्गदर्शन और निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

 

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