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घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005) भारत में महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक व्यापक कानून

घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005) भारत में महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक व्यापक कानून

घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005) भारत में महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक व्यापक कानून है। इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:

1. घरेलू हिंसा की परिभाषा
अधिनियम घरेलू हिंसा को शारीरिक, यौन, मौखिक, भावनात्मक और आर्थिक शोषण के रूप में परिभाषित करता है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
शारीरिक हिंसा: मारना, धक्का देना, चोट पहुँचाना आदि।
यौन हिंसा: किसी भी प्रकार का यौन शोषण या उत्पीड़न।+

मौखिक और भावनात्मक शोषण: अपमानित करना, मानसिक प्रताड़ना देना।
आर्थिक शोषण: वित्तीय संसाधनों से वंचित करना, धन का नियंत्रण करना।

 

2. पीड़ित का संरक्षण
अधिनियम पीड़ित महिलाओं को संरक्षण प्रदान करता है, चाहे वे पत्नी हों, पूर्व पत्नी हों, माता-पिता, बहनें, या घरेलू संबंध में रहने वाली कोई अन्य महिला हों।

3. संरक्षण आदेश
अदालतें पीड़ित महिला को संरक्षण आदेश जारी कर सकती हैं, जिसमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
– हिंसा करने वाले को पीड़ित के संपर्क में आने से रोकना।
– पीड़ित को घर में रहने का अधिकार देना।
– आरोपी को किसी भी प्रकार के संपत्ति के हस्तांतरण से रोकना।

4. निवास का अधिकार
पीड़ित महिला को वैवाहिक घर में रहने का अधिकार है, चाहे वह घर उसके नाम पर हो या नहीं। आरोपी को महिला को घर से निकालने का अधिकार नहीं है।

5. आर्थिक राहत
पीड़ित महिला को आर्थिक राहत प्रदान की जा सकती है, जिसमें भरण-पोषण, चिकित्सा खर्च, नुकसान की भरपाई, और अन्य आवश्यक खर्च शामिल हैं।

पीड़ित महिला को आर्थिक सहायता प्रदान की जा सकती है, जिसमें शामिल हैं:

  • भरण-पोषण का खर्च।
  • चिकित्सा खर्च।
  • नुकसान की भरपाई।
  • किसी भी प्रकार के अन्य आवश्यक खर्च।

6. संरक्षण अधिकारी
सरकार प्रत्येक जिले में संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति करेगी, जो पीड़ित महिलाओं की सहायता करेंगे और उन्हें कानूनी सहायता, चिकित्सा सहायता, और आश्रय प्रदान करेंगे।

सरकार प्रत्येक जिले में संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति करेगी। ये अधिकारी:

  • पीड़ित महिलाओं की शिकायतों को दर्ज करेंगे।
  • कानूनी प्रक्रिया में सहायता करेंगे।
  • पीड़ितों को सुरक्षा और सहायता प्रदान करेंगे।

7. पुलिस की भूमिका
पुलिस को घरेलू हिंसा की शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई करनी होगी। पुलिस पीड़ित महिला को संरक्षण अधिकारी या सेवा प्रदाता के पास भेजेगी और आवश्यक कानूनी कार्रवाई करेगी।

  • पुलिस: घरेलू हिंसा की शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई करेगी, और पीड़ित महिला को संरक्षण अधिकारी या सेवा प्रदाता के पास भेजेगी।
  • सेवा प्रदाता: पीड़ित महिलाओं को कानूनी सहायता, चिकित्सा सहायता, परामर्श और आश्रय प्रदान करेंगे।

8. तात्कालिक राहत
अधिनियम के तहत पीड़ित महिला को तात्कालिक राहत दी जा सकती है, जिसमें अस्थायी आवास, चिकित्सकीय सहायता, और परामर्श शामिल है।

9. कानूनी सहायता
पीड़ित महिला को कानूनी सहायता प्रदान की जाएगी, जिसमें वकील की सेवाएं और अदालती खर्च शामिल है।

10. समयबद्ध न्याय
अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि घरेलू हिंसा के मामलों में त्वरित और समयबद्ध न्याय प्रदान किया जाए, ताकि पीड़ित महिला को शीघ्र राहत मिल सके।

 

  • पीड़िता या संरक्षण अधिकारी या अन्य कोई घरेलू हिंसा के बारे में मुआवजा या नुकसान के लिए मजिस्ट्रेट को आवेदन दे सकता है इसकी सुनवाई तिथि तीन दिनों के अंदर की निर्धारित होगी एवं निष्पादन 60 दिनों के अंदर होगा ।
  • पीड़िता को साक्षी गृहस्थी में निवास करने का अधिकार होगा और कानूनी प्रक्रिया के अतिरिक्त उसका निष्पादन नहीं किया जा सकेगा उसके पक्ष में संरक्षण आदेश पारित किया जा सकता ।
  • पीड़िता या उसके संतान को घरेलू हिंसा के बाद किये गए खर्च एवं हानि की पूर्ति के लिए मजिस्ट्रेट निदेश दे सकता तथा भरण पोषण का भी आदेश दे सकता एवं प्रतिकर आदेश भी दिया जा सकता है

घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 का उद्देश्य महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा और न्याय प्रदान करना है। यह कानून महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्रदान करता है।

 

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