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क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण क्या है? व्यापार सृजन एवं पथांतरण | What is regional economic integration? Trade creation and diversion

क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण क्या है? व्यापार सृजन एवं पथांतरण | What is regional economic integration? Trade creation and diversion

 

क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण क्या है? What is regional economic integration?

क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कई देश एक साथ मिलकर अपने आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने का प्रयास करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना, व्यापार को बढ़ावा देना, और आपसी सहयोग को बढ़ाना है। यह एकीकरण विभिन्न स्तरों पर हो सकता है, जो धीरे-धीरे अधिक गहरे आर्थिक संबंधों की ओर बढ़ता है।

आर्थिक एकीकरण के दौरान विभिन्न देशों के मध्य व्यापारिक और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की नीतियों को अपनाया जाता है , जिससे की एक देश से दूसरे देश के व्यापार के दौरान लगने वाले शुल्क को घटाया जा सके ।

 

क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण के प्रमुख स्तरों को समझें: Understand the major levels of regional economic integration

1. अधिमान्य व्यापर क्षेत्र  [ preferential trade area ]

– यह एक व्यापारिक गुट होता है जिसे संधि के माध्यम  से स्थापित किया जाता है इसके अंतर्गत सम्मिलित देशो के कुछ  उत्पादों के आयात निर्यात के सन्दर्भ में उन्हें प्राथमिकता दी जाती है

– इसके द्वारा उत्पादों पर से शुल्क को काम करके व्यापार को बढ़ावा दिया जाता है ।

2. मुक्त व्यापार क्षेत्र (Free Trade Area):
– इसमें सदस्य देश आपस में वस्तुओं और सेवाओं के आयात-निर्यात पर शुल्क और कोटा को समाप्त या कम करते हैं।
– उदाहरण: उत्तरी अमेरिका मुक्त व्यापार समझौता (NAFTA), जो अब USMCA (United States-Mexico-Canada Agreement) के रूप में जाना जाता है।

3. कस्टम्स यूनियन (Customs Union):
– इसमें सदस्य देश न केवल आपस में व्यापार के लिए शुल्क हटाते हैं, बल्कि गैर-सदस्य देशों के लिए एक समान शुल्क प्रणाली भी लागू करते हैं।
– उदाहरण: यूरोपीय संघ का कस्टम्स यूनियन।

4. सामान्य बाजार (Common Market):
– इसमें कस्टम्स यूनियन के अतिरिक्त पूंजी और श्रमिकों की स्वतंत्र आवाजाही भी शामिल होती है।
– उदाहरण: यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र (European Economic Area)।

5. आर्थिक संघ (Economic Union):

विवरण: इसमें सामान्य बाजार की विशेषताओं के साथ-साथ सदस्य देश समन्वित आर्थिक नीतियाँ और नियम अपनाते हैं, जिसमें कराधान, सामाजिक नीतियाँ, और कई अन्य क्षेत्र शामिल होते हैं।
उदाहरण: यूरोपीय संघ (European Union), हालांकि यह पूर्ण आर्थिक संघ नहीं है, लेकिन इस दिशा में अग्रसर है।

6. मौद्रिक संघ (Economic and Monetary Union):
– इसमें सदस्य देश एक साझा मुद्रा और समान आर्थिक नीतियाँ अपनाते हैं।
– उदाहरण: यूरोजोन, जहां यूरोपीय संघ के सदस्य देश यूरो का उपयोग करते हैं।

7. पूर्ण आर्थिक एकीकरण (Complete Economic Integration):
– इसमें सदस्य देशों की आर्थिक नीतियों का पूरी तरह से एकीकरण होता है और यह एक केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित होता है।
– उदाहरण: वर्तमान में कोई पूर्ण उदाहरण नहीं है, लेकिन यूरोपीय संघ इस दिशा में आगे बढ़ रहा है।

क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण के लाभ –

1. **व्यापार में वृद्धि**: व्यापारिक बाधाओं को हटाने से व्यापार में वृद्धि होती है।
2. **प्रतिस्पर्धात्मकता**: बड़े बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से उत्पादकता और नवाचार को बढ़ावा मिलता है।
3. **आर्थिक स्थिरता**: साझा नीतियों और सहयोग से आर्थिक स्थिरता और विकास की संभावना बढ़ती है।
4. **श्रम और पूंजी की मुक्त आवाजाही**: इससे श्रमिकों और निवेशकों को नए अवसर मिलते हैं।

क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण की चुनौतियाँ

1. **सार्वभौमिकता की हानि**: सदस्य देशों को अपनी स्वतंत्र आर्थिक नीतियों में समझौता करना पड़ता है।
2. **विविधता का प्रबंधन**: विभिन्न देशों की आर्थिक स्थिति, नीतियाँ और प्राथमिकताएँ भिन्न हो सकती हैं, जिन्हें समायोजित करना कठिन होता है।
3. **राजनीतिक विवाद**: सदस्य देशों के बीच राजनीतिक असहमति भी एकीकरण में बाधा उत्पन्न कर सकती है।

निष्कर्ष

क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण देशों को आर्थिक सहयोग और विकास के लिए एक मंच प्रदान करता है। इसके माध्यम से सदस्य देश अपने व्यापारिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करते हैं, जिससे समग्र आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है। हालांकि, इसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए विभिन्न चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है।

 

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व्यापार सृजन एवं पथांतरण – Trade creation and diversion

क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण के संदर्भ में, व्यापार सृजन (Trade Creation) और व्यापार पथांतरण (Trade Diversion) महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं, जो यह समझने में मदद करती हैं कि कैसे व्यापारिक नीतियाँ और समझौते सदस्य देशों के व्यापार पर प्रभाव डालते हैं।

 व्यापार सृजन (Trade Creation)

विवरण:
– व्यापार सृजन तब होता है जब एक क्षेत्रीय व्यापार समझौते (जैसे मुक्त व्यापार क्षेत्र या कस्टम्स यूनियन) के कारण सदस्य देशों के बीच व्यापार बढ़ता है। यह तब होता है जब उच्च लागत वाले घरेलू उत्पादों को कम लागत वाले आयात से प्रतिस्थापित किया जाता है, जिससे उपभोक्ताओं को सस्ते और बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद मिलते हैं।
– **उदाहरण**: यदि भारत और नेपाल के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता होता है और भारत नेपाल से वस्त्र आयात करना शुरू कर देता है क्योंकि वे सस्ते और बेहतर गुणवत्ता के हैं, तो यह व्यापार सृजन का उदाहरण होगा।

लाभ:
– उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प और कम कीमतों पर बेहतर उत्पाद मिलते हैं।
– सदस्य देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होते हैं।
– उत्पादन और संसाधनों का अधिक प्रभावी आवंटन होता है।

व्यापार पथांतरण (Trade Diversion)

विवरण:
– व्यापार पथांतरण तब होता है जब एक क्षेत्रीय व्यापार समझौते के कारण सस्ता आयात गैर-सदस्य देशों से महंगे आयात सदस्य देशों से होने लगता है, भले ही सदस्य देशों से आयात अधिक महंगा हो। यह इसलिए होता है क्योंकि गैर-सदस्य देशों पर शुल्क लगाए जाते हैं जबकि सदस्य देशों पर नहीं।
– उदाहरण: यदि भारत और भूटान के बीच एक कस्टम्स यूनियन है और भारत अब चीन से सस्ते इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद आयात करने के बजाय भूटान से महंगे उत्पाद आयात करना शुरू कर देता है, तो यह व्यापार पथांतरण का उदाहरण होगा।

नुकसान:
– उपभोक्ताओं को सस्ते और बेहतर विकल्प नहीं मिल पाते।
– उत्पादन संसाधनों का कम प्रभावी उपयोग होता है।
– गैर-सदस्य देशों के साथ व्यापारिक संबंध कमजोर हो सकते हैं।

निष्कर्ष

क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण के परिणामस्वरूप व्यापार सृजन और व्यापार पथांतरण दोनों ही हो सकते हैं। व्यापार सृजन आर्थिक लाभ और उपभोक्ता कल्याण को बढ़ावा देता है, जबकि व्यापार पथांतरण संभावित नुकसान और उच्च लागत का कारण बन सकता है। नीति निर्माताओं को इन प्रभावों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय व्यापार समझौतों का डिजाइन और कार्यान्वयन करना चाहिए ताकि आर्थिक लाभ को अधिकतम किया जा सके और नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।

 

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