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संसाधन एवं विकास कक्षा 10 प्रश्न उत्तर pdf resource or development, समकालीन भारत2 | कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम

संसाधन एवं विकास कक्षा 10 प्रश्न उत्तर pdf resource or development, समकालीन भारत2 | कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम

कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में “संसाधन एवं विकास” एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह अध्याय छात्रों को विभिन्न प्रकार के संसाधनों, उनके उपयोग, महत्व, संरक्षण के तरीकों और सतत विकास की अवधारणा से परिचित कराता है। यह हमारे प्राकृतिक और मानव निर्मित संसाधनों को समझने के साथ-साथ उनके संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता पर भी जोर देता है।

 

संसाधन एवं विकास resource or development, समकालीन भारत 2 कक्षा 10वीं NCERT सार

संसाधन एवं विकास कक्षा 10 प्रश्न उत्तर pdf

 

> बहु विकल्प प्रश्न एवं एक शब्द वाक्य में उत्तर –

 

1. लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है

उत्तर – नवीनीकरण योग्य

2. ज्वारीय ऊर्जा निम्नलिखित में से किस प्रकार का संसाधन नहीं है

उत्तर – पुनः पूर्ति योग्य

3.पंजाब में निम्न भूमि का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है

उत्तर – अधिक सिंचाई

4.निम्नलिखित में से किस प्रांत में सीढ़ीदार खेती की जाती है

उत्तर – उतराखंड

5.किस राज्य में काली मिटटी पाई जाती है

उत्तर – महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश सौराष्ट्र , छत्तीसगढ़

 

6. प्रथम अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी सम्मलेन का आयोजन कहाँ किया गया था –

उत्तर – ब्राजील देश के रियो डी जेनेरो में

7. प्रथम अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी सम्मलेन कब हुआ!

उत्तर – जून 1992

8. प्रथम पृथ्वी सम्मलेन में 21 वीं शताब्दी में सतत पोषणीय विकास के लिए एजेंडा स्वीकृति हुआ!

उत्तर – 21

9. मृदा के निर्माण में सबसे अधिक योगदान होता है!

उत्तर – शैल का

10. जैव संसाधन के उदहारण है!

उत्तर – मनुष्य वनस्पति ,प्राणि , मत्स्य ,पशु

 

11. अजैव संसाधन के कुछ उदहारण बाइये!

उत्तर – चट्टानें और धातुएँ

12. कितने समुद्री मील की दूरी से परे खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का अधिकार होता है!

उत्तर – 200 समुद्री मील

11. किन राज्यों में खनिजों और कोयले के प्रचुर भंडार हैं!

उत्तर – झारखण्ड ,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़

12. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यवस्थित तरीके से संसाधन संरक्षण की वकालत 1968 में किस ने की।

उत्तर – क्लब ऑफ रोम

13. एक नवीनीकरण संसाधन है!

उत्तर – मृदा

14. आँध्रप्रदेश और उड़ीसा के डेल्टा क्षेत्रों तथा गंगा के मैदानों में सामान्यतः कौन सी मृदा पायी जाती है ?

उत्तर – जलोढ़ मृदा

15. मृदा संरक्षण के लिए सर्वोच्च रेखा बंध बनाने की विधि प्रायः किस क्षेत्र में उपयोग में लायी जाती है ?

उत्तर – डेल्टा प्रदेश

 

16. पश्चिम घाट प्रदेश में किस प्रकार की मृदा पाई जाती है ?

उत्तर – काली मृदा

17. काली मृदा को किस नाम से जाना जाता है!

उत्तर – रेगर मृदा

18. जलोढ़ मृदा को किस नाम से जाना जाता है।

उत्तर – काँप या कछारी मृदा

19. कपास मृदा के नाम से किस मिटटी को जाना जाता है।

उत्तर – काली मृदा

20. जलोढ़ मृदा में किस तत्व की अधिकता होती है!

उत्तर – पोटाश ,फास्फोरस ,चूनायुक्त

 

21. भारत किन प्रतिशत के आधार पर अधिक खेती होती है!

उत्तर – पंजाब एवं हरियाणा [ 80 %]

22. नवीन जलोढ़क का स्थनीय नाम बताइये!

उत्तर – खादर

23. रेगर या कपास वाली मिट्टी को क्या कहतें हैं।

उत्तर – काली मिट्टी

24. तमिलनाडु ,आंध्र प्रदेश और केरल की लाल लैटेराइट मृदाएँ किसकी फसल के लिए उपयुक्त है।

उत्तर – काजू

24. डेल्टाई भागों में सामान्यतः कौन सी मृदा पायी जाती है ?

उत्तर- जलोढ़ मृदा

25. देश के क्षेत्रफल का कितने प्रतिशत हिस्सा पठारी क्षेत्र है।

उत्तर – 27 %

 

26. पवन और सौर ऊर्जा संसाधनों की बहुतायत किस राज्य में है!

उत्तर – राजस्थान

27. भारत में पर्वत क्षेत्र कितने प्रतिशत है।

उत्तर – 30 %

28. भारत में वन क्षेत्र है।

उत्तर – 33 %

9. भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल कितना है।

उत्तर – 32.8 लाख वर्ग किमी है

30. राष्टीय वन नीति कब लागू हुई।

उत्तर – वर्ष 1952

 

 

प्रश्नो के उत्तर दीजिए –

 

1. तीन राज्यों के नाम बताइए जहां काली मृदा पाई जाती है इस पर मुख्य रूप से कौन सी फसल उगाई जाती है। Name three states where black soil is found and which crop is mainly grown on it.

उत्तर – काली मृदा का रंग काला होता है इसे रेगर या रेगुर मिट्टी कहते हैं

जो कि कपास की खेती के लिए उपयुक्त समझी जाती है काली मिट्टी का निर्माण यह लावा के ठंडा पड़ने से हुआ है

इस मिट्टी के लिए मध्यप्रदेश का मालवा पठार एवं दक्कन पठार विख्यात है,

दक्कन पठार – महाराष्ट्र

सौराष्ट्र गुजरात

मालवा पठार – मध्य प्रदेश

और छत्तीसगढ़ के पठार पर पाई जाती है इस मृदा में मुख्यता कपास एवं सोयाबीन, गेहूं ,चने की खेती की जाती है।

इस मिट्टी का निर्माण बेसाल्ट, नामक आग्नेय चट्टान से हुआ है, इस मिट्टी में लोहे का एवं चूने की अधिकता होती है। लोहे की अधिकता के कारण यह मिटटी काली होती है।

 

 

2. पूर्वी तट की नदी डेल्टाओं ऊपर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है ? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ? What type of soil is found on the river deltas of the east coast? What are the three main characteristics of this type of soil?

उत्तर – पूर्वी तटीय मैदान विशेषकर महानदी गोदावरी कृष्णा कावेरी नदियों के डेल्टा भी जलोढ़ से बने हैं।

विशेषता –

1. यह मृदा जलोढ़ बहुत उपजाऊ होती है

2. अधिकतर जलोढ़ मृदा में पोटाश फास्फोरस युक्त होती है

3. इस मृदा पर गन्ने चावल गेहूं और दलहन फसलों की खेती की जाती है

4. इस प्रकार की मिट्टी में गहन कृषि की जाती है

5. यह मिट्टी रेतीली चिपचिपी होती है

6. इसे काँप अथवा कछारी मिट्टी भी कहते हैं।

 

3. पहाड़ी क्षेत्र में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए – What steps should be taken to prevent soil erosion in hilly areas?

उत्तर – मृदा के कटाव एवं उसके बहाव की प्रक्रिया को मृदा अपरदन कहा जाता है

निम्न कदम –

> वनोरोपण,

> सीढ़ीदार खेती ,

> पट्टीदार खेती,

> सर्वोच्च जुताई

> सोपान कृषि

> कम पशु चारण

 

4. जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं What are biotic and abiotic resources

उत्तर- जैव संसाधन – इन संसाधनों की प्राप्ति जीवमंडल से होती है और इनमें जीवन व्याप्त है जैसे मनुष्य वनस्पति प्राणी मत्स्य जीवन, पशुधन, अन्य

अजैव संसाधन – वे सारे संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से बने हैं अजैव संसाधन कहलाते हैं।

उदाहरणार्थ – चट्टानी, धातुएँ

 

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> निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

1. भारत में भूमि उपयोग प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960 – 61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई ,इसका क्या कारण है ? Describe the land use pattern in India. There was no significant increase in the area under forest since the year 1960-61, what is the reason for this?

उत्तर – भू – उपयोग को निर्धारित करने वाले तत्वों में भौतिक कारक जैसे भू – आकृति जलवायु और मृदा के प्रकार तथा मानवीय काररक जैसे जनसंख्या घनत्व प्रौद्योगिक क्षमता संस्कृति और परम्पराएँ इत्यादि शामिल है।

भारत में कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है

 

2. प्रौद्योगिकी और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपयोग कैसे हुआ है How technology and economic development has led to overuse of resources

उत्तर- संसाधन जिस प्रकार मानव के जीवन यापन के लिए अत्यंत आवश्यक है उसी प्रकार जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है

संसाधन प्राकृतिक की देन है फल स्वरुप मनुष्य ने उनका अंधाधुंध उपयोग किया है

इसमें निम्नलिखित प्रमुख समस्याएं उत्पन्न हो गई है

1. प्रौद्योगिकी विकास में औद्योगिकीकरण तथा शहरीकरण को जन्म दिया है जिसमें प्राकृतिक संसाधनों के उप

योग में वृद्धि हुई है

2. प्रौद्योगिकी से खनन प्रक्रिया में सुधार हुआ है जिसके तहत प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक शोषण हुआ है।

3. आर्थिक विकास से आधुनिकता को बढ़ावा मिला है फल स्वरुप संसाधनों की मांग बढ़ी है

4. सूचना प्रौद्योगिकी के आने से लोगों के रहन-सहन में परिवर्तन आया है मानव पश्चिमी सभ्यता को बनाने के लिए परीक्षित है।

 

3. जलोढ़ मिट्टी और काली मिट्टी अंतर बताइये। Explain the difference between alluvial soil and black soil.

उत्तर – जलोढ़ मिट्टी – > इस मिट्टी रंग हल्का भूरा होता है।

> नदियों द्वारा बहाकर लायी गए निक्षेप अवसाद को जलोढ़ मिट्टी कहते हैं

> यह भारत के सबसे अधिक भूभाग में फैली है लगभग 40 % भाग में फैली है

> दक्षिण भारत में महानदी ,गोदावरी ,कृष्णा ,कावेरी नदियों डेल्टा में यह मिट्टी पायी जाती है

> इस मिट्टी में ह्यूमस चूने का अंश अधिक होता है।

> जलोढ़ मिट्टी को कछारी मृदा हैं

काली मृदा –

> यह मिट्टी काले रंग की होती है

> काली मिट्टी का निर्माण ज्वालामुखी उद्गार निकले लावा द्वारा होता है।

> यह मिटटी जलोढ़ के बाद दूसरे स्थान पर देश के 18.5 % भाग में फैली है

> काली मिट्टी मुख्यता महाराष्ट्र ,मध्यप्रदेश ,गुजरात में पायी जाती है

> इस मिट्टी में मैग्मा के अंश ,लोहा की प्रधानता होती है।

> इस मिट्टी को रेगर मिट्टी कहते हैं

 

4. संसाधन क्या हैं इनका हमारे जीवन में क्या महत्त्व है। What are resources and what is their importance in our lives.

उत्तर – हमारे पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो है हमारी आवश्यकता ओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है जिसे आर्थिक रूप से एवं सांस्कृतिक रूप से मान्य होती है।

एक संसाधन है जिस भी साधन से मानव की आवश्यकता की पूर्ति होती है

जैसे- जल, वायु, धातु

> महत्व – संसाधन मानव जीवन को सुखद व सरल बनाते हैं

मानव संसाधनों के माध्यम से ही आर्थिक विकास की गति को तेज करने के लिए संसाधन का निर्माण करते हैं संसाधन मानवीय क्रियाओं का परिणाम है

मानव स्वयं संसाधनों का महत्वपूर्ण हिस्सा है, आज विश्व के वे राष्ट्र अधिक उन्नत व संपन्न माने जाते हैं।

जिनके पास अधिक संसाधन है आज संसाधन हमारी प्रगति के सूचक बन गए हैं, इसलिए संसाधनों का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है।

 

5. मृदा अपरदन के प्रमुख कारण लिखिए Write the main causes of soil erosion

उत्तर – मृदा अपरदन की प्रमुख कारण निम्न है

1. वनों की कटाई

2 अधिक पशु चारण

3. निर्माण एवं खनन

4. भारी वर्षा

5. झूम कृषि

6. औद्योगिक करण

1.वनों की कटाई – कृषि के लिए भूमि का विस्तार करने तथा जलाने व इमारती लकड़ी की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए पिछले कई दशकों में वनों का विनाश हो रहा है।

परिणाम स्वरूप पानी को नियंत्रित करने की शक्ति कम हुई एवं मिट्टी के कटाव बढ़ गया है।

2. अधिक पशुचारण – अधिक पशु चारण पर नियंत्रण ना रखने से भी जंगलों की घास काट ली जाती है तथा जानवरों द्वारा चर ली जाती है। जिसमें अनेक छोटे-बड़े और कीमती महत्वपूर्ण वनस्पति और पेड़ पौधे भी नष्ट हो जाते हैं।

इससे भूमि की ऊपरी परत हट जाती है और भूमि कटाव होने लगता है।

3. झूम कृषि – हमारे देश में अनेक स्थानों पर आदिवासी जंगलों को साफ करके कृषि करते हैं फिर उस भूमि को छोड़कर दूसरे स्थान पर चले जाते हैं इससे पहले वाली भूमि पर कटाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

4. भारी वर्षा – मिट्टी का कटाव भारी वर्षा से होता है क्योंकि मिट्टी कट कर बह जाती है वास्तव में पानी से होने वाला कटर तीन प्रकार से होता है पहला प्रकट आओ फिर नाली का कटाव अंत में बाढ़ का कटाव।

 

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6. मृदा संरक्षण के प्रमुख तरीकों की व्याख्या कीजिए। Explain the main methods of soil conservation.

उत्तर – ढाल वाली भूमि पर सर्वोच्च रेखा के समानांतर हल चलाने से ढल के साथ जल बहाव की गति घटती है इसे सर्वोच्च जुताई कहा जाता है दाल वाली भूमि पर सोपान बनाए जा सकते हैं सोपान कृषि अपरदन को नियंत्रित करती है।

पश्चिमी और मध्य हिमालय में सोपान सीढ़ीदार कृषि काफी विकसित है बड़े खेतों को पतियों में बांटा जाता है फसलों के बीच के घास की पटिया उगाई जाती है।

यह बबलू द्वारा जनित बल को कमजोर करती है इस तरीके को पट्टी कृषि कहते हैं पेड़ों को काटा रों में लगाकर रक्षण मेकला बनाना भी पहनो की गति कम करता है।

इस रक्षण पट्टिका का पश्चिमी भारत में रेत के टीलों के स्थानीयकरण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

 

7. भारत के प्रमुख मृदा जलोढ़ मृदा, लाल पीली मृदा,काली मृदा, लैटेराइट मृदा को समझाइये। Explain the main soils of India: alluvial soil, red yellow soil, black soil, laterite soil.

उत्तर – जलोढ़ मृदा –alluvial soil

जलोढ़ मृदा मूलता हिमालय से निकलने वाली नदियों के द्वारा लाए गए अवसादों व् निक्षेप को से बनी है इसे ‘काँप’ या कछारी मिट्टी भी कहते हैं

भारत के उत्तर मैदान में जलोटा का सर्वाधिक विकास हुआ है इसके अतिरिक्त तटीय मैदानों एवं प्रायद्वीप भारत की नदियों गंगा, गोदावरी, कृष्णा बेसिन एवं डेल्टाई भागों में भी बता पाई जाती है।

इस मिट्टी का विस्तार लगभग 15 लाख वर्ग किलोमीटर तक है जो कि भारत में सबसे अधिक भूभाग पर जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है

इसमें पोटाश सर्वाधिक मात्रा में एवं चूने की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है जबकि फास्फोरस की कमी होती है इस मिट्टी में मुख्यता गेहूं, गन्ना जौ दालें तिलहन और गंगा, ब्रह्मपुत्र घाटी में जूट की फसलें उगाई जाती है

जलोढ़ मृदा मृदा को समानता 4 वर्गों में विभाजित किया जाता है –

भावर, तराई, बांगर, खादर

> लाल पीली मृदा – red yellow soil

यह भारत की दूसरी प्रमुख मृदा है जिसका विकास दक्कन के पठार के पूर्वी तथा दक्षिणी भाग में कम वर्षा वाले उन क्षेत्र में हुआ है जहाँ रवेदार आग्नेय चट्टानें पाई जाती है।

इसके अतिरिक्त पश्चिमी घाट के गिरी पद क्षेत्रों उड़ीसा तथा छत्तीसगढ़ में कुछ भागों तथा मध्य गंगा के मैदानों के दक्षिणी भागों में भी इसकी मृदा का विकास हुआ है।

लोहे के ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण इस मिट्टी का रंग लाल होता है इस मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश की कमी होती है

यह स्वभाव में अम्लीय प्रकृति की होती है लाल मृदा ऊंची भूमियों पर बाजरा, मूंगफली, आलू की खेती के लिए उपयोगी है।

जबकि निम्न भूमियों में चावल, रागी, तंबाकू। सब्जी आदि की खेती की जाती है।

 

> काली मृदा-  black soil

इस मृदा का निर्माण दरारें उद्भेदन से निकले लावा पदार्थों [बेसाल्ट चट्टान] के विखंडन से हुआ है। यह भारत की तीसरी प्रमुख मृदा है

इसका सर्वाधिक विकास महाराष्ट्र के दक्कन ट्रैप के उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र में हुआ है इसके अलावा यह मध्यप्रदेश के मालवा पठार, गुजरात के सौराष्ट्र, काठियावाड़ प्रायद्वीप में पाई जाती है

इस मिट्टी में कपास की खेती के लिए अधिक उपयोगी तथा विख्यात है इसलिए इसे काली कपासी मिट्टी और रेगुर के नाम से भी जाना जाता है।

इसके अतिरिक्त इसे ट्रॉपिकल ब्लैक अर्थ भी कहते हैं उत्तर प्रदेश में इस मृदा को ‘करेल’ की संज्ञा दी जाती है।

कपास के अलावा गन्ना, गेहूं, प्याज और फलों की खेती के लिए अनुकूल है ह्यूमस , एलुमिनियम, लोहा के यौगिक की उपस्थिति के कारण इस मिट्टी का रंग काला होता है।

इस मिट्टी में नाइट्रोजन फास्फोरस की मात्रा कम होती है तथा पोटेशियम, मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है।

 

> लेटराइट मृदा – laterite soil

मृदा का विकास उन क्षेत्रों में होता है जहां उच्च तापमान एवं भारी वर्षा होती है अधिक वर्षा कारण जल के साथ चूना और सिलिका का निक्षालन हो जाता है।

तथा लोहे के ऑक्साइड और एल्युमिनियम के यौगिक मृदा में शेष बचे रहते हैं।

यह मृदा साधारण का लाल रंग की होती है एवं मुख्य रूप से पश्चिमी घाट के पर्वतों के गिरीपद क्षेत्रों में तथा लंबी पट्टी के रूप में केरल मालावार प्रदेश कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा के पठारी क्षेत्रों में पाई जाती है।

इस मिट्टी में मुख्यता चाय कहावा, रबड़, सिनकोना, काजू ,मोटे अनाज मसालों की कृषि की जाती है।

 

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